बच्चों को चिड़चिड़ेपन से बचाना है, तो रखें इन बातों का ख्याल
बचपन में कुछ बच्चों का स्वभाव चिड़चिड़ा होता है, जिसके कारण वो ज्यादातर समय रोते-चीखते रहते हैं और बात-बात पर गुस्सा हो जाते हैं। ऐसे बच्चों को संभालना मुश्किल होता है। मां-बाप कई बार झल्लाहट में ऐसे बच्चों को मारते-डांटते भी हैं। कई बार बच्चे हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर का शिकार होते हैं, इसलिए उनका ऐसा स्वभाव होता है। अगर आपका बच्चा भी बहुत ज्यादा गुस्सा करता है या हर समय रोता रहता है, तो डांटने-मारने के बजाय उसकी समस्या को समझने का प्रयास करें। बच्चों को चिड़चिड़ेपन से बचाना है, तो पेरेन्ट्स को इन 5 बातों का ख्याल रखना चाहिए।
बच्चों को मारें नहीं
गुस्सा चिड़चिड़े स्वभाव को जन्म देता है। अगर बच्चे के रोने, चिल्लाने पर आप उसे मारते हैं, तो बच्चों को गुस्सा आना लाजमी है। लगातार मारने-डांटने पर बच्चे के मन में आपके प्रति गुस्सा घर कर जाता है, जो धीरे-धीरे चिड़चिड़ेपन में बदल जाता है। इसलिए बच्चे को कभी भी मारना नहीं चाहिए। अगर बच्चा परेशान कर रहा है, तो उसकी बात सुनें और परेशानी दूर करने की कोशिश करें।
बच्चों को रचनात्मक कामों में व्यस्त रखें
बहुत ज्यादा गुस्सा करने वाले बच्चों को ज्यादा से ज्यादा खेलकूद और बाहरी गतिविधियों में व्यस्त रखना जरूरी होता है। बच्चे को डांस या आर्ट क्लास में भेज सकते हैं। समय-समय पर उन्हें आउटडोर गेम्स खेलने के लिए बाहर ले जाना भी अच्छा रहता है। इससे बच्चे की अतिरिक्त शारीरिक ऊर्जा व्यय होगी और आत्म अभिव्यक्ति व सामाजिक व्यवहार की समझ भी विकसित होगी।
दूसरों के सामने बेइज्जत न करें
कई बार मां-बाप गलती करने पर बच्चे को समझाने के बजाय उसे दूसरों के सामने डांटने-चिल्लाने लगते हैं। आमतौर पर 3-4 साल की उम्र तक बच्चों में आत्मसम्मान की भावना का विकास हो जाता है। ऐसे में बच्चों को दूसरों के सामने डांटने-चिल्लाने से बच्चे के दिल को ठेस पहुंचती है और उसमें बदले की भावना घर करने लगती है। ऐसे बच्चे स्वभाव से चिड़चिड़े हो जाते हैं। बच्चों को कोई बात समझानी है, तो अकेले में और प्यार से समझाएं।
छोटे बच्चों को भूख के कारण भी आता है गुस्सा
भूख लगने पर भी शिशुओं में चिड़चिड़ेपन का स्वभाव देखा जाता है। इसलिए अगर बहुत छोटा बच्चा बिना कारण रोये या काफी प्रयास के बाद भी चुप न हो, तो उसे दूध पिलाएं। बच्चे इशारों में अपनी बात कहने की कोशिश करते हैं। मां-बाप धीरे-धीरे जब ये इशारे समझने लगते हैं, तो उन्हें परेशानी नहीं आती है।
हार्मोनल असंतुल के कारण भी चिड़चिड़ापन
हार्मोनल असंतुलन भी बच्चों में चिड़चिड़ेपन का कारण हो सकता है। इससे कई बार बिना किसी वजह के भी बच्चे के व्यवहार में झल्लाहट नज़र आ सकती है। टीनएजर्स में बहुत हाई लेवल की एनर्जी होती है पर आधुनिक जीवनशैली से आउटडोर गेम्स और फिजिकल एक्टिविटीज़ गायब होती जा रही हैं। ऐसे में बच्चे को अपनी एनर्जी रिलीज़ करने का मौका नहीं मिलता तो इसका असर गुस्से या आक्रामक व्यवहार के रूप में नज़र आता है।