हरतालिका तीज (HartalikaTeej) का नाम हरिण अर्थात हरण करना और तालिका मतलब सखी के मेल से बना है। इस वर्ष हरतालिका तीज का व्रत 09 सितबंर, दिन गुरूवार को पड़ रहा है।पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन माता पार्वती को उनकी सखियां उनके पिता हिमालय के घर से हरण करके जंगल ले कर आई थी। जहां पर माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था। तब से ही अखण्ड़ सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति के लिए सुहागिन महिलाएं हरतालिका तीज (HartalikaTeej) का व्रत रखती हैं। कुवांरी लड़कियां भी मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए हरतालिका तीज का वर्त रखती हैं।
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आइए जानते हैं इस व्रत से जुड़ी हुई कुछ महत्वपूर्ण बातें…
हरतालिका तीज (HartalikaTeej) का व्रत भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतिया तिथि के दिन रखा जाता है।इस साल ये तिथि 09 सितंबर को पड़ रही है।
हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव,माता पार्वती और गणेश जी की कच्ची मिट्टी से बनी प्रतिमा का विधि-विधान से पूजन किया जाता है।
इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है, इस व्रत में दिन भर अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत का पारण अगले दिन सुबह माता पार्वती को भोग लगाने के बाद जल पीकर अपना व्रत तोड़ती हैं।
हरतालिका तीज (HartalikaTeej) के व्रत में रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। इस व्रत में आठों पहर पूजन करने का विधान है, रात्रि के समय शिव-पार्वती के मंत्रों का जाप या भजन करना चाहिए।
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पूजन के दौरान हरतालिका तीज की व्रत कथा का पाठ करना विशेष रूप से फलदायी मना जाता है।
मान्यता है कि एक बार हरतालिका तीज (HartalikaTeej) का व्रत प्रारंभ कर देने के बाद जीवन भर ये व्रत नियमित रूप से रहना चाहिए। स्वास्थ्य की स्थिति ठीक न होने पर व्रत छोड़ा भी जा सकता है।
इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वति को रेशम के वस्त्र अर्पित करने चाहिए।
तीज की पूजा सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में करना सबसे शुभ माना जाता है।
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