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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में उठाया गया मुद्दा
JAIHINDTIMES
तेल कंपनियों और पेट्रोल पंप मिलकर पेट्रोल और डीजल पर पडऩे वाले तापमान प्रभाव का लाभ लेते हुए लोगों को 17 हजार करोड़ की चपत लगा रही हैं। यह हैरान करने वाले आंकड़ें जनहित याचिका के माध्यम से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचे हैं जिसपर अब केंद्र सरकार, भारत पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन व हिंदुस्तान पेट्रोलियम को जवाब देना है।
जनहित याचिका में कहा
मामले में जनहित याचिका दाखिल करते हुए चरण सिंह अरोड़ा ने कहा कि भारत में तेल कंपनियां और पेट्रोल पंपों पर 15 डिग्री के स्टैंडर्ड टैंप्रेचर पर पेट्रोल व डीजल उपभोक्ताओं को उपलब्ध करवाया जाता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि तापमान के कारण पडऩे वाले प्रभाव के चलते उनकी गणना के अनुसार हर साल करीब 17 हजार करोड़ की चपत लगती है। याची की ओर से उनके काउंसिल एडवोकेट सुमित गुप्ता ने कहा कि गर्मियां आने के साथ ही तापमान में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है और तापमान 30 डिग्री तक पहुंच रहा है।
याची ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की मात्रा गर्मी बढऩे के साथ ही घटती जाती है और अलग-अलग तापमान पर एक ही मूल्य के पेट्रोल की अलग-अलग मात्रा प्राप्त होती है। ऐसे में गर्मियों में ग्राहकों को उनके पैसे के अनुरूप कम पेट्रोल और डीजल प्राप्त होता है। तापमान बढऩे के कारण घटी मात्रा में लोगों को तेल मिलता है जो गलत है। याची ने हाईकोर्ट से अपील की कि इस दिशा में तेल कंपनियों और केंद्र सरकार को आवश्यक निर्देश दिए जाएं ताकि लोगों को उनके द्वारा दिए गए पैसों की कीमत का पेट्रोल मुहैया करवाया जा सके।
केंद्र सरकार व सभी तेल कंपनियों को जवाब दाखिल करना होगा
इसके लिए कंपनियों द्वारा फिक्स स्टैंडर्ड रेट को तापमान के अनुसार बदलने अथवा ऐसा कोई इंतजाम करने जिससे पंप से 15 डिग्री तापमान पर तेल दिया जाए इसकी व्यवस्था के निर्देश दिए जाएं ताकि भुगतान किए पैसों के अनुरूप सही मात्रा में तेल उपलब्ध हो। हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे गंभीर मुद्दा करार दिया। केंद्र सरकार व सभी तेल कंपनियों को इस बारे में उनका जवाब दाखिल करना होगा।
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