#ReserveBankofIndia उठाएगा यह कदम , बैंकों की और बढ़ेगी मुश्किल
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केनरा और यूनियन बैंक सहित सार्वजनिक क्षेत्र के पांच बैंक #ReserveBankofIndia (आरबीआई) के त्वरित सुधार के कदम (पीसीए) योजना के दायरे में आ सकते हैं। रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार दिसंबर 2017 में इन बैंकों का एनपीए 6 फीसदी से अधिक हो गया है, जिससे इनका पीसीए के दायरे में आने का जोखिम बना हुआ है।
ये बैंक हैं शामिल
अगर आरबीआई इन बैंकों को पीसीए के तहत लाता है तो इन्हें टियर 1 पूंजी के तहत निवेशकों को जारी किए गए 15,700 करोड़ रुपए के एटी-1 बॉन्डों को वापस लेना पड़ सकता है। केनरा और यूनियन बैंक के अलावा इसमें आंध्रा बैंक, पंजाब नैशनल बैंक और पंजाब ऐंड सिंध बैंक शामिल हैं। बैंक को पीसीए में डालने के निर्णय से पहले आरबीआई बैंकों के पूंजी पर्याप्तता अनुपात, शुद्ध एनपीए और संपत्तियों पर रिटर्न का मूल्यांकन करता है। पीसीए के दायरे में आने वाले बैंक पर कर्ज देने पर बंदिश लग जाती है, जिससे उसकी लोन बुक का आकार कम हो जाता है। बैंक की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ करने के मकसद से ऐसा किया जाता है।
पूंजी निवेश पर भी होगा प्रभाव
- पिछले चार साल के दौरान सार्वजनिक बैंकों ने टियर-1 पूंजी अनुपात में सुधार के लिए एटी-1 बॉन्डों के जरिए 60,385 करोड़ रुपए जुटाए हैं।
- इन बॉन्डों को बढ़ते घाटे, बेसल-3 के तहत पूंजी की बढ़ती जरूरतों और सरकार द्वारा सीमित पूंजी निवेश की पृष्ठभूमि में जारी किया गया था।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण से पहले बैंकों को पूंजी अनुपात, वित्त वर्ष 2018 की तीसरी तिमाही में भारी घाटे और एटी-1 बॉन्ड को पहले वापस लेने से केंद्र सरकार की ओर से इन बैंकों में पूंजी निवेश पर आंशिक असर पड़ सकता है।
बैंकों की पुनर्पूंजीकरण योजना पर भी पड़ेगा असर
- पिछले तीन वर्षों में घाटा होने की वजह से 21 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में से 11 को आरबीआई पीसीए के दायरे में ला चुका है।
- इनमें बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, देना बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक प्रमुख हैं।
- इन बैंकों ने करीब 21,900 करोड़ रुपए के एटी-1 बॉन्ड जारी किए हैं, जिन्हें अगले कुछ हफ्तों में वापस लिया जा सकता है।
- पीसीए के दायरे में आने और केंद्र सरकार की ओर से सार्वजनिक बैंकों के पुनर्पूंजीकरण से बैंकों को एटी-1 बॉन्डों को पहले वापस लेना पड़ेगा।