#HEALTH : GI कैंसर के हैं ये लक्षण , पेटदर्द या अपच को कभी…
पेटदर्द को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर (पेट की आंतों या पेट के कैंसर) भारत में चौथा सबसे ज्यादा संख्या में लोगों को होने वाला कैंसर बन गया है. पिछले साल जीआई कैंसर (Gastrointestinal Cancer) के 57,394 मामले सामने आए. यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा प्रभावित करता है.
साइलेंट किलर के रूप में धीरे-धीरे बढ़ता जाता है
चिकित्सक बताते हैं कि जीआई कैंसर के ज्यादातर मरीजों को शुरुआत में गैर-विशिष्ट लक्षण होते हैं, जैसे पेट दर्द और असहजता होना, लगातार अपच बने रहना, मलोत्सर्ग की आदत में गड़बड़ी होना.यह साइलेंट किलर के रूप में धीरे-धीरे बढ़ता जाता है और शरीर के आंतरिक अंगों जैसे बड़ी आंत, मलाशय, भोजन की नली, पेट, गुर्दे, पित्ताशय की थैली, पैनक्रियाज या पाचक ग्रंथि, छोटी आंत, अपेंडिक्स और गुदा को प्रभावित करता है.
कैंसर का पता नहीं लगाया जा सकता
प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेज सकते हैं
आईजीआईएमएस में गैस्ट्रोइंटेस्ट्रोलॉजी के हेड डॉ. वी. एम. दयाल का कहना है, “चूंकि जीआई कैंसर रोग की स्थिति और लक्षणों के आधार अलग-अलग हो सकते हैं. इनमें अंतर करने के लिए और कैंसर के खास प्रकार का पता लगाने के लिए मरीजों की जल्द से जल्द जांच करना बेहद आवश्यक है. कोलनगियोस्कोपी की मदद से डॉक्टर पित्ताशय की थैली को देख सकते हैं और इससे उन्हें खास तरह के कैंसर का पता लगाने में मदद मिलती है. इससे वह शरीर में मौजूक ऊतकों और तरल पदार्थ के अध्ययन से किसी खास तरह के कैंसर की जड़ तक पहुंच सकते हैं और उसका उचित इलाज शुरू कर सकते हैं. इस प्रक्रिया में 1 एमएम के चौड़े वीडियो कैमरा के साथ पतली और लचीली ट्यूब का इस्तेमाल कर डॉक्टर पित्ताशय की थैली की अंदरूनी परत की सावधानीपूर्वक निगरानी कर सकते हैं. अगर कोई संदिग्ध क्षेत्र पाया जाता है तो डॉक्टर ऊतक का छोटा टुकड़ा लेकर प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेज सकते हैं.”