#HEALTH : गर्भावस्था के हर हफ्ते में महिला को चाहिए अलग पोषण
गर्भावस्था के दौरान अपने भोजन संबंधी आदतों को दुरुस्त रखना चाहिए। आप क्या खाएं और क्या नहीं इसकी सही जानकारी रखना भी बेहद जरूरी है।
स्वस्थ गर्भावस्था और तंदुरुस्त बच्चे के लिए अपनी आहार योजना बेहद सोच-समझकर बनानी चाहिए। आइए हम आपको बताते हैं कि गर्भावस्था के हर पड़ाव पर आपका आहार कैसा होना चाहिए।
जीरो से आठवें सप्ताह तक
- हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, मेथी, बथुआ, सरसों, मूली के पत्ते और सलाद को अपने भोजन में शामिल करें।
- राजमा, चने की दाल, काले चने और सेम जरूर खाए।
- खट्टे फल जैसे- खरबूजा, संतरा, मौंसमी भी खाए।
- नाश्ता में अनाज, गेहूं का आटा, जई, कॉर्न फ्लैक्स, ब्रेड और पास्ता खा सकती है।
- नट्स, विशेष रूप से अखरोट और बादाम जरूर खाए।
- कैफीन युक्त पेय से बचें। नारियल पानी पिएं, मिल्क शेक, ताजा फलों के रस या नींबू पानी लें।
- इससे आपके शरीर में पानी की मात्र बढ़ेगी और निर्जलीकरण की समस्या से बचे रहेंगी।
नौं से 16वां सप्ताह
- हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे- पालक, मूली के पत्ते और सलाद।
- लौकी, करेला और चुकंदर के रूप में सब्जियां।
- गेहूं से बनीं वस्तुओं और ब्राउन राइस।
- काले चने, पीली मसूर, राजमा, और लोभिया जैसी दालें।
- अगर आप मांसाहारी हैं तो सप्ताह में दो बार मांस, अंडे और मछली (सामन मछली, झींगे और मैकेरल) आदि लें।
- सूखे फल खासकर अंजीर, खुबानी और किशमिश, अखरोट और बादाम।
- संतरे, मीठा नींबू और सेब आदि फल।
- डेयरी उत्पादों विशेष रूप से दूध, दही, मक्खन, मार्जरीन, और पनीर आदि। ये विटामिन डी के मुख्य स्रोत हैं।
- सीने में जलन और कब्ज रोकने के लिए, दिन में पानी के आठ दस गिलास जरूर पिएं।
17वें से 24वें सप्ताह तक
- सूखे मेवे जैसे बादाम, अंजीर, काजू, अखरोट।
- नारियल पानी, ताजा फलों का रस, छाछ और पर्याप्त मात्रा में पानी।
- राजमा, सोयाबीन, पनीर, पनीर, टोफू, दही आपकी कैल्शियम की जरूरतों को पूरा करेगा।
- टोन्ड दूध (सोया दूध)।
- हरी सब्जियां जैसे पालक, ब्रोकोली, मेथी, सहजन की पत्तियां, गोभी, शिमला मिर्च, टमाटर, आंवला और मटर।
- विटामिन सी के लिए संतरे, स्ट्रॉबेरी, चुकंदर, अंगूर, नींबू, टमाटर, आम और नींबू पानी का सेवन बढ़ाएं।
- स्नैक्स में – भुना बंगाली चना, उपमा, सब्जी इडली या पोहा।
25वें से 32वें सप्ताह तक
गर्भावस्था के 25 सप्ताह से अपने चयापचय (मेटाबॉलिक) दर 20 प्रतिशत बढ़ जाती है, इसलिए आपके कैलोरी बर्न करने की गति बढ़ जाती है और नतीजतन आपको अधिक थकान और गर्मी महसूस होगी। इसलिए आपको अपने भोजन में तरल पदार्थो की मात्रा बढ़ानी चाहिए। इसका फायदा यह होगा कि आप निर्जलीकरण से भी दूर रहेंगी और साथ ही आपको कब्ज भी नहीं होगा। वात रोग से बचने के लिए छोटे-छोटे अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा भोजन करती रहें।
- एक दिन में 10-12 गिलास पानी पिएं।
- दही के साथ एक या दो पराठें।
- प्रचुर मात्रा में बादाम और काजू का सेवन करें।
- फलों का रस पीने से अच्छा है कि ताजा फल खाए जाएं।
- भोजन के साथ सलाद जरूर लें।
- प्याज, आलू, और राई आदि का सेवन करें।
- सेब, नाशपाती, केले, जामुन, फलियां और हरी पत्तेदार सब्जियां।
- मछली, जैसे -सेलमॉन, बांग्रा आदि। अगर आप शाकाहारी हैं तो मछली के तेल के विकल्प या उसकी खुराक ले सकती हैं।
33वें से 40वें सप्ताह तक
गर्भावस्था की आखिरी तिमाही में पौष्टिक आहार लेना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इस दौरान भ्रूण पूरी तरह तैयार हो चुका होता है। वह जन्म लेने को तैयार होता है। पौष्टिक आहार जैसे, फल और सब्जियां बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मदद करती हैं।
- गर्भावस्था मधुमेह से बचने के लिए कम चीनी का सेवन करें।
- शुगर फ्री बिस्किट, एल्कोहल रहित पेय पदार्थ का सेवन करें।
- खीरा, गाजर, मूली और हरी पत्तेदार सब्जियां।
- विटामिन सी के लिए स्ट्राबैरी, नींबू, मौसमी, ब्रोकली, आंवला का रस, संतरा या आम को अपने भोजन में शामिल करें।
- सूखे मेवे जैसे, खजूर, अंजीर, बादाम, अखरोट, खुमानी और किशमिश का रोजाना सेवन करें। वहीं तैलीय, मसालेदार और जंक फूड का परहेज करें।
प्रसव का समय निकट आ चुका है। और ऐसे में मां को अपने बच्चे के लिए प्रचुर मात्रा में दूध की जरूरत होती है। तो, अपने भोजन में बैंगन, दालें आदि की मात्रा बढ़ा दें। चाय कॉफी और चीनी वाली चीजों से जरा दूरी रखें।