फूड पॉइजनिंग के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज
फूड पॉइजनिंग (विषाक्त भोजन) एक आम समस्या है, लेकिन कुछ मामलों में यह बहुत गंभीर भी हो जाती है. इस बीमारी से व्यक्ति की मौत भी हो सकती है. गर्मी और बरसात के मौसम में भोजन बहुत तेजी से दूषित (contaminate) होते हैं और इनमें बैक्टीरिया एवं सूक्ष्म जीव पनप जाते हैं. ऐसा भोजन करने से व्यक्ति फ़ूड पॉइजनिंग का शिकार हो जाता है. हम आपको बता रहे हैं फूड पॉइजनिंग के लक्षण, कारण और घरेलू इलाज.
किन कारणों से होती है Food poisoning
वैसे तो Food poisoning ज्यादातर दूषित और स्ट्रीट फूड के खाने से होती है. इसके अलावा मांस और अंडे सहित अन्य खाद्य वस्तुएं बहुत तेजी से बैक्टीरिया द्वारा दूषित होती हैं. इन्हें खाने से शरीर में फूड पॉइजनिंग के कई लक्षण दिखायी देते हैं जिसका शीघ्र उपचार (treatment) न कराने पर स्थिति गंभीर हो जाती है.
बैक्टीरिया से सबसे ज्यादा खतरा
आमतौर पर बैक्टीरिया के कारण सबसे अधिक फूड पॉइजनिंग की समस्या होती है. फूड पॉइजनिंग को बढ़ावा देने में ई. कोलाई (E. coli), लिस्टेरिया (Listeria) और सालमोनेला (Salmonella) नामक विभिन्न बैक्टीरिया जिम्मेदार होते हैं. इनमें से सालमोनेला बैक्टीरिया के कारण सबसे गंभीर फूड पॉइजनिंग की समस्या होती है. साल्मोनेला बैक्टीरिया 1-3 दिनों के बाद तक तबीयत खराब होने का कारण बन सकता है.
क्या हैं लक्षण
आमतौर पर फूड पॉइजनिंग के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि इंफेक्शन किस चीज से हुआ है. लेकिन इस समस्या के लक्षण दूषित भोजन (contaminated food) करने के कुछ ही घंटों बाद और अचानक दिखाई देने लगते हैं. फूड पॉइजनिंग होने पर व्यक्ति को सबसे पहले उल्टी महसूस होती है. इसके अलावा पेट में दर्द या ऐंठन, दस्त, मिचली या उल्टी, बुखार- ये सभी लक्षण एकसाथ भी दिख सकते हैं या सिर्फ कोई एक या दो लक्षण भी नजर आ सकते हैं.
बचने के लिए क्या-क्या घरेलू इलाज हैं…
Food poisoning का इलाज आमतौर पर घर पर ही किया जा सकता है और ज्यादातर यह 3 से 5 दिनों के अंदर ठीक भी हो सकता है. फूड पॉइजनिंग की समस्या होने पर लगातार शरीर को हाइड्रेट करते रहना जरूरी होता है ताकि शरीर में पानी की कमी न हो और ऐसा करने से कुछ दिनों में इस गंभीर बीमारी से पार पाया जा सकता है.
स्पोर्ट्स ड्रिंक में उच्च मात्रा में इलेक्ट्रोलाइट होता है जिसका सेवन फूड पॉइजनिंग के उपचार में बहुत प्रभावी होता है. फलों के रस और नारियल पानी का भी सेवन किया जा सकता है. इसमें पर्याप्त कार्बोहाइड्रेट होता है जो फूड पॉइजनिंग के कारण उत्पन्न थकान को दूर करते हैं.
Food poisoning होने पर इन चीजों का सेवन करना चाहिए
अदरक: एक इंच अदरक का टुकड़ा पीसकर एक गिलास पानी में डालकर उबाल लें. अच्छी तरह उबाल आने के बाद आंच बंद करके इसे हल्का गुनगुने होने पर चाय की तरह शिप लेकर पीएं. फूड पॉइजनिंग से बचाने में यह सबसे कारगर नुस्खा हो सकता है.
एपल सीडर विनेगर
एपल सीडर पेट के बैक्टीरियल इन्फेक्शन से बचाता है. फूड पॉइजनिंग होने पर एक गिलास गुनगुने पानी में एक बड़ा चम्मच एपल सीडिर विनेगर डालकर पीने से राहत मिलती है.
नींबू पानी
नींबू पानी में भी एंटी बैक्टीरियल, एंटी इनफैमेटरी और एंटीवायरल गुण होते हैं जो फूड पॉइजनिंग में राहत दिलाते हैं. फूड पॉइजनिंग होने पर एक गिलास पानी में 2 चम्मच शक्कर और 2 चम्मच नींबू का रस मिलाकर पी लें.
शहद
फूड पॉइजनिंग के दौरान पेट में एसिड बनता है जिसे ठीक करने में शहद कारगर होता है. फूड पॉइजनिंग के दौरान दिन में 2-3 चम्मच शहद खाने से राहत मिलती है.
जीरा
फूड पॉइजनिंग के दौरान उल्टी होना आम बात है. इससे बचने के लिए दो गिलास पानी में एक बड़ा चम्मच जीरा डालकर अच्छी तरह उबाल लें. जब पानी उबलकर आधा रह जाए तो इसे ठंडाकर छान लें. इसे पानी को पीने से फूड पॉइजनिंग में राहत मिल सकती है. जीरा पानी पेट के लिए अच्छा माना जाता है.
लहसुन
फूड पॉइजनिंग से बचने के लिए लहसुन की कलियों को सीधे चबाकर खा लें. इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो फूड पॉइजनिंग की समस्या से बचाते हैं.
मेथी दाना
एक चम्मच मेथी दाने को चबाएं और कुछ समय के बाद एक चम्मच दही खा लें. इन दोनों में ही एंटीमाईक्रोबिल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो फूड पॉइजनिंग को ठीक करने में मददगार साबित होते हैं.
तुलसी की पत्तियां
फूड प्वॉइजनिंग हो जाने पर तुलसी की पत्तियों के रस में थोड़ा-सा शहद लगाकर दिन में 4-5 बार सेवन करना चाहिए. ऐसा करने से फूड पॉइजनिंग में आराम मिल सकता है.
साफ-सफाई का भी देना चाहिए ध्यान
किचन में साफ-सफाई न रखने से फूड पॉइजनिंग की समस्या किसी भी समय हो सकती है. इसलिए किचन को हमेशा साफ-सुथरा चाहिए.
- भोजन को सही तरीके से पकाना चाहिए खासकर चिकन, मीट ताकि भोजन में मौजूद सभी बैक्टीरिया नष्ट हो जाएं. पके हुए मांस और अंडे की जर्दी में बैक्टीरिया की जांच करने के लिए थर्मोमीटर (thermometer) का भी प्रयोग किया जा सकता है.
- पका हुआ भोजन को कच्चे फल, सब्जियों या कच्चे भोजन नहीं रखना चाहिए. ऐसा करने से भोजन में भी बैक्टीरिया पहुंच सकता है. ज्यादातर हम फ्रिज में ऐसी चीजें को साथ में रखते हैं.
- पका या कच्चे भोजन को नमी वाली (moisture) जगहों पर से बैक्टीरिया पनप सकते हैं.
- खाने-पीने के बर्तनों को हमेशा साफ रखना चाहिए. सिंक में ज्यादा देर तक जूठे बर्तन नहीं रखना चाहिए. कुछ भी खाने से पहले या पीने से पहले बर्तन और हाथों को अच्छी तरह से साफ करना न भूलें.