लगाई गईं है कई सारी शर्तें
गैर जमानती अपराधों में अब अग्रिम जमानत का रास्ता साफ हो गया है. बता दें कि इससे पहले ऐसे कई धाराएं होती थी जिनपर अग्रिम जमानत नहीं मिलती थी. अग्रिम जमानत से जुड़े संशोधन को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद प्रदेश की योगी सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है.
हालांकि इसको लेकर कई सारी शर्तें भी लगाई गईं है…
इस नए नियम के अनुसार, अग्रिम जमानत की सुनवाई के दौरान अब अभियुक्त का उपस्थित रहना जरूरी नहीं होगा. इसके अलावा जिस दौरान पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा, तब अभियुक्त को पुलिस अधिकारी या विवेचक के समक्ष उपस्थित होना पड़ेगा.
इतना ही नहीं, आवेदक मामले से जुड़े गवाहों और अन्य व्यक्तियों को अब किसी भी तरह से धमका नहीं सकेंगे और ना ही किसी तरह का आश्वासन दे सकेंगे. लेकिन इन सभी मामलों से इतर ये अग्रिम जमानत की सुविधा SC/ST एक्ट में नहीं मिलेगी.
SC/ST एक्ट समेत गंभीर अपराध मामलों में लागू नहीं होगी
यानी अग्रिम जमानत की जो सुविधा जो मिलने जा रही है, वह SC/ST एक्ट समेत गंभीर अपराध मामलों में लागू नहीं होगी. साथ ही आतंकी गतिविधियों से जुड़े मामलों (अनलॉफुल एक्टिविटी एक्ट 1967), आफिशियल एक्ट, नारकोटिक्स एक्ट, गैंगस्टर एक्ट व मौत की सजा से जुड़े मुकदमों में अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी.
30 दिन के अंदर करना होगा निस्तारण
नए प्रस्ताव की मानें तो विधेयक के तहत अग्रिम जमानत के लिए जो भी आवेदन आएंगे उनके आने की तिथि से 30 दिन के अंदर निस्तारण करना होगा. कोर्ट को अंतिम सुनवाई से सात दिन पहले लोक अभियोजक को नोटिस भेजना भी अनिवार्य होगा.
आरोप पर विचार कर उसके आधार पर फैसला
अग्रिम जमानत से जुड़े मामलों में कोर्ट अभियोग की प्रकृति और गंभीरता, आवेदक के इतिहास, उसकी न्याय से भागने की प्रवृत्ति और आवेदक को अपमानित करने के उद्देश्य से लगाए गए आरोप पर विचार कर उसके आधार पर फैसला ले सकती है.