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शिव लिंग को शिव जी का निराकार स्वरुप माना जाता है
सावन (Sawan) का महीना शुरू हो चुका है. शिव भक्त भोलेबाबा को मनाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं. शिव लिंग को शिव जी का निराकार स्वरुप माना जाता है. शिव पूजा में इसकी सर्वाधिक मान्यता है.
शिवलिंग में शिव और शक्ति दोनों ही समाहित होते हैं. शिवलिंग कि उपासना करने से दोनों की ही उपासना सम्पूर्ण हो जाती है. हिंदू धर्म में विभिन्न प्रकार के शिव लिंगों की पूजा करने का प्रावधान है जैसे- स्वयंभू शिवलिंग,नर्मदेश्वर शिवलिंग,जनेउधारी शिवलिंग,सोने और चांदी के शिवलिंग और पारद शिवलिंग. हालांकि स्वयंभू शिवलिंग की पूजा को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और फलदायी माना जाता है.
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स्थापना से जुड़े खास नियम…
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शिवलिंग की पूजा उपासना शिव पूजा में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं.
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शिवलिंग घर में अलग तरह से स्थापित होता है और मंदिर में इसे अलग तरीके से स्थापित किया जाता है.
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शिवलिंग कहीं भी स्थापित हो पर उसकी वेदी का मुख उत्तर दिशा की तरफ ही होना चाहिए.
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घर में स्थापित किया जाने वाला शिवलिंग बहुत ज्यादा बड़ा नहीं होना चाहिए. यह अधिक से अधिक ६ इंच का होना चाहिए.
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मंदिर में कितना भी बड़ा शिवलिंग स्थापित किया जा सकता है.
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विशेष उद्देश्यों तथा कामनाओं की प्राप्ति के लिए पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा की जाती है.
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क्या क्या अर्पित करना चाहिए पूजा में…
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शिवजी की पूजा में जल और बेलपत्र, दोनों वस्तुओं का विशेष महत्व है.
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इन दोनों ही वस्तुओं से शिव जी की विधिवत पूजा की जा सकती है .
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इसके अलावा कच्चा दूध, सुगंध, गन्ने का रस, चन्दन से भी शिव जी का अभिषेक किया जाता है.
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शिव जी को कभी भी सेमल,जूही,कदम्ब और केतकी अर्पित नहीं करनी चाहिए.
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शिवलिंग पर कुछ भी अर्पित करते समय किन बातों का ध्यान…
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शिव लिंग पर जलीय पदार्थ अर्पित करते समय उसकी धारा बनाकर अर्पित करना चाहिए.
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ठोस पदार्थ अर्पित करते समय, दोनों हाथों से उसे शिवलिंग पर लगायें.
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शिव लिंग पर कुछ भी अर्पित करें, अंत में जल जरूर अर्पित करें.
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शिव लिंग पर तामसिक चीज़ें अर्पित नहीं करनी चाहिए, साथ ही मारण प्रयोग भी नहीं करना चाहिए.
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