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नवरात्रि का प्रथम दिन और कलश की स्थापना
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यह चैत्र शुक्ल पक्ष की वासंतिक नवरात्रि है. इसे शक्ति पैदा करने की नवरात्रि भी कहा जाता है. इस बार यह नवरात्रि 18 मार्च से शुरू होगी और इसका समापन रामनवमी के साथ 25 मार्च को होगा. इस बार की नवरात्रि आठ दिन की होगी.
नवरात्रि के प्रथम दिन देवी के किस स्वरुप की उपासना होती है?
- नवरात्रि के प्रथम दिन माँ के शैलपुत्री स्वरुप की उपासना होती है
- हिमालय की पुत्री होने के कारण इनको शैलपुत्री कहा जाता है-पूर्व जन्म में इनका नाम सती था ,और ये भगवान शिव की पत्नी थी
- सती के पिता दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव का अपमान कर दिया था
- इसी कारण सती ने अपने आपको यज्ञ अग्नि में भस्म कर लिया-अगले जन्म में यही सती शैलपुत्री बनी और भगवान शिव से ही विवाह किया
- माता शैलपुत्री की पूजा से सूर्य सम्बन्धी समस्याएं दूर होती हैं- माँ शैलपुत्री को गाय के शुद्ध घी का भोग लगाना चाहिए- इससे अच्छा स्वास्थ्य और मान सम्मान मिलता है
कलश स्थापना का मुहूर्त
- – कलश की स्थापना चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को की जाती है
- इस बार प्रतिपदा सायं 06.32 तक रहेगी- अतः सायं 06.32 के पूर्व ही कलश की स्थापना कर लें
- इसमें भी सबसे ज्यादा शुभ समय होगा – प्रातः 09.00 से 10.30 तक
कैसे करें , कलश की स्थापना
- – कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर लेना चाहिए
- एक लकड़ी का पटरा रखकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाना चाहिए- एक मिट्टी के पात्र में जौ बोना चाहिए
- इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करना चाहिए
- कलश के मुख को ढक्कन से ढंक देना चाहिए- ढक्कन पर चावल भर देना चाहिए
- एक नारियल को कलश के ढक्कन पर रखना चाहिए- अंत में दीप जलाकर कलश की पूजा करनी चाहिए
- नवरात्र में देवी पूजा के लिए जो कलश स्थापित किया जाता है वह सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का ही होना चाहिए
क्या होगा, नवरात्रि में व्रत का विधान
- – नवरात्रि में नौ दिन भी व्रत रख सकते हैं और दो दिन भी
- जो लोग नौ दिन व्रत रक्खेंगे वो लोग दशमी को पारायण करेंगे
- जो लोग प्रतिपदा और अष्टमी को व्रत रखेंगे वो लोग भी इस बार दशमी को पारायण करेंगे
- व्रत के दौरान जल और फल का सेवन करें- ज्यादा तला भुना और गरिष्ठ आहार ग्रहण न करें
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