शत्रु से मुकाबला ना करके मैदान छोड़ने में ही अपनी भलाई समझी
इस साल देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 23 और 24 अगस्त को मनाया जा रहा है. दुनिया को अपनी बाल लीला से मंत्र मुग्ध करने वाले कान्हा को उनके भक्त मुरली मनोहर, कान्हा, कृष्ण मुरारी, नंद गोपाल, माखन चोर, देवकी नंदन जैसे कई नामों से पुकारते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कृष्ण का इन सब नाम के अलावा एक और नाम भी है, जिसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे.
जी हां और वो नाम है रणछोड़. जी हां श्री कृष्ण के जीवन में एक समय ऐसा भी आया था जब उन्होंने अपने शत्रु से मुकाबला ना करके मैदान छोड़ने में ही अपनी भलाई समझी.आप सोच रहे होंगे महाभारत जैसा युद्ध पांडवों को जीताने वाले श्रीकृष्ण भला रणछोड़ कैसे हो सकते हैं.
आइए जानते हैं आखिर क्यों दुनिया को गीता का उपदेश देने वाले श्री कृष्ण को रणछोड़ नाम से भी बुलाया जाता है.
यह घटना तब की है जब महाबली मगधराज जरासंध ने कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा था. जरासंध ने कृष्ण के साथ युद्ध करने के लिए अपने साथ काल यवन नाम के राजा को भी मना लिया था. दरअसल, काल यवन को भगवान शंकर ने वरदान दिया था कि ना तो चंद्रवंशी और न ही सूर्यवंशी उसका कभी कुछ बिगाड़ पाएंगे. उसे ना तो कोई हथियार खरोच सकता है और ना ही कोई उसे अपने बल से हरा सकता है.
खुद को अजेय समझ लिया था
भगवान शंकर से मिले वरदान के बाद कालयवन ने खुद को अजेय समझ लिया था. जरासंध के कहने पर कालयवन ने बिना किसी शत्रुता के मथुरा पर आक्रमण कर दिया.
जानते थे कि कालयवन को मारा नहीं जा सकता
भगवान कृष्ण जानते थे कि कालयवन को मारा नहीं जा सकता. उनका सुरदर्शन कालयवन का कुछ नहीं बिगाड़ सकता. जिसके बाद वो रणभूमि से भागकर एक गुफा में पहुंच गए. श्रीकृष्ण और बलराम तो भागते देख जरासंध उन पर हंसने लगा. उसे भगवान् श्रीकृष्ण और बलरामजी के ऐश्वर्य, प्रभाव आदि का ज्ञान न था. श्रीकृष्ण इस युद्ध से भागकर उसी गुफा में छिपे थे जहां राक्षसों से युद्ध करके राजा मुचकुंद त्रेतायुग से सोए हुए थे.
नींद से जगाएगा वो जलकर खाक हो जाएगा
राजा मुचकुंद दानवों को हराने के बाद बहुत थक गए थे. जिसके बदले इंद्र ने उन्हें विश्राम का आग्रह कर एक वरदान भी दिया. इंद्र ने कहा कि जो भी इंसान तुम्हें नींद से जगाएगा वो जलकर खाक हो जाएगा. श्री कृष्ण यह बात भली भांति जानते थे.
नींद टूटते ही जलकर खाक हो गया
भगवान कृष्ण काल यवन को अपने पीछे भगाते भगाते उस गुफा तक ले आए. जहां राजा मुचकुंद सोए हुए थे. गुफा में भगवान कृष्ण ने राजा मुचकुंद के ऊपर अपना पीतांबर डाल दिया. कालयवन को लगा श्री कृष्ण उससे डरकर अंधेरी गुफा में सो गए हैं. कालयवन ने जैसे ही त्रेता युग से सोए हुए राजा मुचकुंद को लात मारकर उठाया. राजा मुचकुंद की नींद टूटते ही कालयवन जलकर खाक हो गया.