गणेश चतुर्थी को गणेश चौथ, विनायक चतुर्थी और कलंक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है
देशभर में गणेश चतुर्थी की धूम है। महाराष्ट्र समेत देश के कई हिस्सों में भगवान गणेश के जन्मदिन के अवसर आज से 12 सितंबर तक गणेशोत्सव मनाया जा रहा है। गणेश चतुर्थी को गणेश चौथ, विनायक चतुर्थी और कलंक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
विधि विधान से पूजा की जाती है
- गणेश चतुर्थी को विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी की विधि विधान से पूजा की जाती है।
- पूजा में उनको दूर्वा चढ़ाई जाती है और विशेषकर मोदक का भोग लगाया जाता है।
- भगवान गणेश को मोदक अतिप्रिय है।
- भगवान गणेश प्रसन होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं और सभी विघ्न-बाधाओं को दूर करते हैं।
मन और आस-पास जो भी नकारात्मकता है, वो खत्म हो जाता है
- पूजा के पश्चात गणेश जी की आरती जरूरी मानी जाती है। पूजा के बाद आप कपूर या फिर घी का दीपक जलाकर गणेश जी आरती करें।
- इस दौरान घंटी और शंख जरूर बजाएं। ऐसे करने से आपके मन और आस-पास जो भी नकारात्मकता है, वो खत्म हो जाता है।
विघ्नहर्ता गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। …
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा …
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।