Advertisements
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी जलझूलनी या पदमा एकादशी कहलाती है
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी जलझूलनी या पदमा एकादशी कहलाती है. इस दिन भगवान श्री विष्णु के वामन रूप की पूजा की जाती है और इस व्रत को करने से व्यक्ति के सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है. इस एकादशी पर भगवान विष्णु को पीले फल फूल अर्पण करके उनके 108 नाम का जाप करने से मानसिक शांति की प्राप्ति होती है.
मिलेगा बच्चों को बुद्धि का वरदान
- जलझूलनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पीले फल फूल और मिष्ठान से पूजा-अर्चना करें
- 11 केले और शुद्ध केसर भगवान विष्णु को अर्पण करें
- एक आसन पर बैठकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें
- जाप के बाद केले का फल छोटे बच्चों में बाटें और केसर का तिलक बच्चों के माथे पर करें
बढ़ेगा आपका आकर्षण
- एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें
- दाएं हाथ से पीले फल फूल नारायण भगवान को अर्पण करें और गाय के घी का दिया जलाएं
- अब किसी आसन पर बैठकर नारायण स्तोत्र का तीन बार पाठ करें
- एकादशी के दिन से लगातार 21 दिन तक नारायण स्तोत्र का पाठ जरूर करें
- ऐसा करने से आपका आकर्षण दिन प्रतिदिन भगवान विष्णु की कृपा से बढ़ेगा
महाउपाय
- एकादशी के दिन सुबह के समय जल में हल्दी डालकर स्नान करें
- अपनी उम्र के बराबर हल्दी की साबुत गांठ पीले फलों के साथ भगवान विष्णु के मंदिर में अर्पण करें
- विष्णुसहस्त्र नाम का पाठ करें पाठ के बाद फलों को जरूरतमंद लोगों में बाट दें
- हल्दी की गांठों को कपड़े में लपेट कर धन रखने के स्थान पर रखें
- ऐसा करने से रुके हुए धन की प्राप्ति के साथ-साथ घर में अन्न और धन की बरकत होगी.
Loading...