जीव के रूप में पितृ धरती पर आते हैं
ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में हमारे पितर धरती पर आकर हमें आशीर्वाद देते हैं. ज्योतिषी कहते हैं कि श्राद्ध के दिनों में जीव के रूप में पितृ धरती पर आते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देकर कृपा करते हैं. इसलिए पितृ पक्ष में पशु-पक्षियों की सेवा करना जरूरी है.
आइए जानते हैं श्राद्ध में पशु-पक्षियों की सेवा का क्या महत्व है…
- ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में हमारे पितृ पशु-पक्षियों के माध्यम से धरती पर आकर हमें आशीर्वाद देते हैं.
- जिन जीवों और पशु-पक्षियों के माध्यम से पितृ आहार ग्रहण करते हैं वो हैं- गाय, कुत्ता, कौवा और चींटी.
- श्राद्ध के समय इनके लिए भी आहार का एक अंश निकाला जाता है, तभी श्राद्ध कर्म को पूर्ण माना जाता है.
- श्राद्ध करते समय पितरों को अर्पित करने वाले भोजन के पांच अंश निकाले जाते हैं- गाय, कुत्ता, चींटी, कौवा और देवताओं के लिए.
- इन पांच अंशों का अर्पण करने को पंचबली कहा जाता है.
इन जीवों का ही क्यों किया गया है चुनाव
कुत्ता जल तत्व का प्रतीक है ,चींटी अग्नि तत्व का, कौवा वायु तत्व का, गाय पृथ्वी तत्व का और देवता आकाश तत्व का प्रतीक है. इस प्रकार इन पांचों को आहार देकर हम पंच तत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं. केवल गाय में ही एक साथ पांच तत्व पाए जाते हैं. इसलिए पितृ पक्ष में गाय की सेवा विशेष फलदाई होती है. मात्र गाय को चारा खिलने और सेवा करने से पितरों को तृप्ति मिलती है साथ ही श्राद्ध कर्म संपूर्ण होता है.