Arti pandey
Chandigarh
पत्नी को गुजारा भत्ता देने से बचने के लिए पति ने पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में कहा खाने तक को नहींं है सोच रहा हूं हरिद्वार चला जाऊ। हाईकोर्ट ने इस पर कहा चाहे हरिद्वार चले जाओ लेकिन पत्नी को गुजारा भत्ता देना ही होगा।
हिसार की फैमली कोर्ट द्वारा पत्नी को 4 हजार तथा बच्चे को 1 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने के आदेश को चुनौती देते हुए पति ने हाईकोर्ट में अपील की थी। याची ने कहा था कि उसकी शादी 2014 में हुई थी और उसके बाद से ही उसकी पत्नी उसे परेशान करती थी। अक्सर घर छोड़कर चली जाती थी।
इसपर हाईकोर्ट ने कहा कि पति होकर आपने कभी पत्नी को वापिस लाने की पहल नहींं की इसलिए पत्नी को गलत कहना सही नहीं है। हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए याची ने कहा था कि उसके पास कमाई का कोई नियमित जरिया नहींं है और ऐेसे में वह गुजारा भत्ता नहीं दे सकता।
सुनवाई के दौरान पति ने कोर्ट में कहा कि हालात ऐसे हो चुके हैं कि वह सोच रहा है कि हरिद्वार चला जाऊं। इसपर हाईकोर्ट ने कहा कि चाहे हरिद्वार जाओ या कैसे भी जीवन जियो लेकिन अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते। कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी का सेक्शन 125 कोई दंड प्रावधान नहीं है बल्कि यह तो पत्नी की समाजिक और आॢथक सुरक्षा सुनिश्चित करने का माध्यम है।
घरेलू हिंसा मामले में बरी होना भी बचने का आधार नहीं
याची ने हाईकोर्ट में दलील देते हुए कहा कि उसकी पत्नी ने उस पर घरेलू हिंसा का केस दर्ज करवाया था जिसके चलते याची को ट्रायल झेलना पड़ा लेकिन आखिरकार वह बरी हो गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही याची केस में बरी हो गया हो लेकिन यह भी पत्नी को गुजारा भत्ता देने से बचने का आधा नहींं है।