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5 हजार आमदनी बताकर गुजारा भत्ता राशि कम करने की अपील हाईकोर्ट ने की खारिज
Arti Pandey
Chandigarh
पंडि़त द्वारा 5 हजार रुपये की कमाई की दलील देकर गुजारा भत्ता राशि कम करवाने की अपील पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्टï कर दिया कि दक्षिणा ही नहींं मिला हुआ दान भी कमाई का हिस्सा होता है। हाईकोर्ट ने पंडित की आमदनी को 15 हजार मानते हुए रोहतक फैमिली कोर्ट द्वारा तय की 4 हजार गुजारा भत्ता राशि पंडिताईन को सौंपने के आदेश बरकरार रखे हैं।
रोहतक निवासी पुजारी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए रोहतक फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसके तहत उसे पत्नी को 4000 रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता राशि भुगतान करने को कहा गया था। याची का 25 जनवरी 2018 को तलाक हो चुका है जिसकेबाद 8 जुलाई 2019 को फैमिली कोर्ट ने अंतरिम गुजारा भत्ता के आदेश जारी किए थे। इस फैसले को चुनौती देते हुए पंडित द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। दाखिल याचिका में कहा गया कि वह पुजारी है और उसकी मासिक आय 5 हजार रुपये है, ऐसे में वह 4000 रुपये की गुजारा भत्ता राशि देने में सक्षम नहीं है। साथ ही यह भी दलील दी गई कि याची दिव्यांग है और उसके पास आय के साधन सीमित हैं।
हाईकोर्ट ने याची पक्ष की दलील सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि याची ने अपनी दलील के समर्थन में ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया जो साबित करता हो कि याची दिव्यांग है। वहीं हाईकोर्ट ने कहा कि पंडि़त को मिलने वाली दक्षित के अतिरिक्त भोजन, फल, कपड़े व अन्य वस्तुएं भी उसकी कमाई की श्रेणी में आती हैं ऐसे में याची का यह कहना कि उसकी आमदनी 5 हजार है समझ के परे है। हाईकोर्ट ने कहा कि हमारे अनुसार याची प्रतिमाह 15 हजार रुपये के करीब कमाता है। इतनी आमदनी के हिसाब से तय 4000 रुपये की गुजारा भत्ता राशि को अधिक नहीं कहा जा सकता। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।
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