जिंदगी से एक अलग ही संघर्ष की सच्चाई बयान करते हैं
कुछ फिल्में नाजुक मिजाज की होती है। उसमें ना किसी तरह का एक्शन होता है, ना ही ठुमके लगाते हुए नाच गाने। इन फिल्मों की कहानियों में कोई अति नाटकीय मोड भी नहीं होते… होती है तो सिर्फ कोमल सी आत्मा जिसे उतनी ही कोमलता से, संवेदन शीलता के साथ देखा जाना जरूरी है।
द स्काई इज पिंक कोई काल्पनिक कहानी नहीं है बल्कि इस तूफान से दिल्ली में रहने वाला सचमुच का चौधरी परिवार गुजरा है। यह कहानी है निरेन और अदिति की, जिनका बेटा ईशान और बेटी आयशा है। वे जिंदगी की ऐसी लड़ाई लड़ रहे है जिसे सोच कर भी आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। यह सारे लोग जिंदगी से एक अलग ही संघर्ष की सच्चाई बयान करते हैं।
मस्त मौला मस्तीखोर, घर की लाडली टीनएजर आयशा चौधरी बचपन से ही पलमोनरी फाइब्रोसिस से ग्रस्त है। इन सबको पता है की उसकी जिंदगी कम है मगर वो जिस तरह से जिंदगी जी रही है, पर लंबी नहीं पर बहुत बड़ी जरूर है! और अंततः वह दिन आता है जब आयशा का जाना तय हो जाता है! और वो चली जाती है इसके बाद परिवार इस तरह से इस हादसे को झेलता है, यही कहानी है द स्काई इज पिंक की।
वहीं ईशान बने रोहित सराफ भी उल्लेखनीय है वह आने वाले समय में बॉलीवुड में और भी बेहतर काम नजर आ सकते हैं। कुल मिलाकर द स्काई इज पिंक एक खूबसूरत फिल्म है।