उत्तर प्रदेश सरकार ने 7 पीपीएस अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुस्त कर्मचारियों और अधिकारियों को उम्र से पहले रिटायर करने का ऐलान जुलाई में किया था. सरकार ने 50 साल की उम्र में ही सुस्त अधिकारियों को रिटायरमेंट देने का फैसला किया था. इसके तहत कई बड़े अफसरों के साथ कर्मचारी भी रडार पर आए हैं.
1/3 वित्तीय हस्तपुस्तिका, खण्ड-2 भाग -2 से 4 तक में दिये गये अद्यावधिक संशोधित फण्डामेन्टल रूल, 56 के खण्ड (सी) के अधिकारों के अन्तर्गत सरकारी सेवाओं मे दक्षता सुनिश्चित करने के लिये PPS संवर्ग के पुलिस उपाधीक्षकों/सहायक सेनानायकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान की गई है।
— Government of UP (@UPGovt) November 7, 2019
अधिकारियों को भ्रष्टाचार की वजह से हटाया गया है. सभी अफसर डिप्टी एसपी और सीईओ पद पर तैनात थे. योगी सरकार ने कुछ अधिकारियों को बर्खास्त भी किया है.
2/3 यह अनिवार्य सेवानिवृत्ति स्क्रीनिंग कमेटी पर शासन द्वारा निर्णय लेते हुए प्रदान की गई है।
इन अधिकारियों की सूची में सहायक सेनानायक, 15वीं वाहिनी पीएसी जनपद आगरा, पुलिस उपाधीक्षक जनपद फैजाबाद तथा पुलिस उपाधीक्षक जनपद आगरा शामिल हैं।— Government of UP (@UPGovt) November 7, 2019
बता दें कि पिछले 2 वर्षों में योगी सरकार विभिन्न विभागों के 200 से ज्यादा अफसरों और कर्मचारियों को जबरन रिटायर कर चुकी है. इन दो वर्षों में योगी सरकार ने 400 से ज्यादा अफसरों, कर्मचारियों को निलंबन और डिमोशन जैसे दंड भी दिए हैं.
इतना ही नहीं, इस कार्रवाई के अलावा 150 से ज्यादा अधिकारी अब भी सरकार के रडार पर हैं. गृह विभाग में सबसे ज्यादा 51 लोगों को जबरन रिटायर किए गए थे.