अनिश्चितकाल के लिए प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता
#SupremeCourt : अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में सरकार की ओर से लगाई गई पाबंदियों के विरोध में दाखिल याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि एक हफ्ते के भीतर पाबंदियों को लेकर जारी आदेशों की समीक्षा की जानी चाहिए। पाबंदियों नेताओं के आने-जाने पर रोक, इंटरनेट पर बैन आदि शामिल हैं। इंटरनेट पर अनिश्चितकाल के लिए प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है।
Advocate Sadan Farasat: The Court said that indefinite internet ban by the State is not permissible under our Constitution and it is an abuse of power. https://t.co/MqFvuZeKAO pic.twitter.com/3cV2YoqQSl
— ANI (@ANI) January 10, 2020
सुरक्षित रख लिया था फैसला
जस्टिस एनवी रमन्ना (NV Ramana), जस्टिस आर सुभाष रेड्डी (R Subhash Reddy), जस्टिस बीआर गवई (Justice BR Gavai) की बेंच ने बीते 27 नवंबर को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
Here's what Supreme Court said in landmark verdict on Jammu and Kashmir. https://t.co/7mUnc3J9bZ#JammuAndKashmir #Article370 pic.twitter.com/dKct44vPay
— NDTV (@ndtv) January 10, 2020
नहीं रखा जा सकता है बंद
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि सरकार जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों से संबंधित अपने सभी आदेशों की एक हफ्ते के भीतर समीक्षा करे। सरकार को पाबंदियों से जुड़े अपने सभी आदेशों पर अवलोकन करते हुए गैरजरूरी आदेशों को वापस लेना चाहिए। इंटरनेट को अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं रखा जा सकता है।