मां कूष्मांडा अपने भक्तों के सभी कष्टों और दुखों का नाश कर देती हैं
आज चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है। आठ भुजाओं वाली मां कूष्मांडा अपने भक्तों के सभी कष्टों और दुखों का नाश कर देती हैं।
मां कूष्मांडा को लाल फूल प्रिय है, पूजा के समय उनको गुड़हल का फूल चढ़ाएं। नवरात्रि के चौथे दिन आपको मां कूष्मांडा को नीचे दिए गए मंत्रों के जाप से प्रसन्न करना चाहिए। पूजा के अंत में मां कूष्मांडा की आरती करें, जिससे प्रसन्न होकर मां आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करेंगी।
मां कूष्मांडा की स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कूष्मांडा की प्रार्थना
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
मां कूष्मांडा बीज मंत्र
ऐं ह्री देव्यै नम:।
मंत्र
1. सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्य्स्त्राहि नो देवि कूष्माण्डेति मनोस्तुते।।
2. ओम देवी कूष्माण्डायै नमः॥
मां कूष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥