आधुनिक विश्व का यह नर्वस सिस्टम ब्रेकडाउन न हो जाए
#Coronavirus: अब जब कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया खौफ में है। अमेरिका से लेकर यूरोप तक में लॉकडाउन है और लोगों को घरों से काम करने को कहा गया है, तब अचानक ही मोबाइल सेवा मुहैया कराने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियों की रूह कांपने लगी है कि बढ़ते ट्रैफिक की वजह से कहीं आधुनिक विश्व का यह नर्वस सिस्टम ब्रेकडाउन न हो जाए।
सबसे ज्यादा डाटा इस्तेमाल भारत में ही होता है
अमेरिका में हालात बिगड़े हुए हैं, जबकि इटली तो घुटने पर आ चुका है। भारत में स्थिति बिगड़ी है लेकिन, सेल्युलर ऑपरेटर्स ऑफ इंडिया (सीओएआइ) ने हालात काबू होने की बात कहते हुए सरकार से अतिरिक्त स्पेक्ट्रम देने की मांग की है। वैसे भी पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा डाटा इस्तेमाल भारत में ही होता है, ऐसे में हमें ज्यादा चिंता करने की आवश्यकता है।
जुकरबर्ग, हालात हैं खराब
इंस्टाग्राम और वाट्सएप जैसे बेहद लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का मालिकाना हक रखने वाली कंपनी फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग मानते हैं कि हालात खराब है। अपनी आधिकारिक पोस्ट में वह कहते हैं कि हम किसी तरह अपनी सेवाएं चालू रखने के लिए जूझ रहे हैं। गौरतलब है कि फेसबुक, इंस्टाग्राम और वाट्सएप पर ट्रैफिक में अचानक ही पूरी दुनिया में 30 से 50 फीसद की बढ़ोतरी हो गई है। इसी कारण कंपनी ने यूटयूब पर स्ट्रीमिंग की क्वालिटी गिरा दी है।
ओटीटी बने समस्या
ऑनलाइन एंटरटेनमेंट कंटेंट उपलब्ध कराने वाले नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम जैसे तमाम ओटीटी प्लेटफॉर्म इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनियों के लिए सिरदर्द बन गए हैं। वॉक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ओटीटी पर सिर्फ न्यूयॉर्क में 40 फीसद ट्रैफिक की बढ़ोतरी हो गई है। हालांकि नेटफ्लिक्स ने भी अपनी स्ट्रीमिंग क्वालिटी गिराकर हालात पर काबू पाने की कोशिश की है।
बढ़ गया है खर्च
- इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी क्लाउड फ्लेयर ने दावा किया है कि अमेरिका में लॉकडाउन के दौरान डाटा का इस्तेमाल 20 फीसद बढ़ गया है।
- ऑनलाइन गेमिंग में डाटा का खर्च अचानक 60 फीसद बढ़ गया।
- टेक्नोलॉजी कंपनियों के घर के रूप में मशहूर सिएटल में इंटरनेट डाटा का खर्च 40 फीसद बढ़ गया है।
- उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही डाटा के बढ़ते खर्च पर काबू नहीं पाया गया और सपोर्ट सिस्टम को मजबूत नहीं किया गया तो अमेरिका में इंटरनेट बैठ सकता है।
- वह इटली का उदाहरण देते हैं, वहां नॉर्मल स्पीड 10 एमबीपीएस भी नहीं थी, जो अब घटकर 2.3 एमबीपीएस से भी कम रह गई है।
- भारत में भी हालात अच्छे नहीं है। सीओएआइ ने डाटा का सही इस्तेमाल करने की अपील की है। हमारे यहां औसत इंटरनेट स्पीड 2019 में 6.5 एमबीपीएस रही थी।
संयम से करें इस्तेमाल
सीओएआइ ने उपयोगकर्ताओं से कहा है कि संयम से डाटा का इस्तेमाल करें। सीओएआइ ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि सुबह 9 से 11 बजे तक और शाम चार बजे से 10 बजे तक लोग हैवी फाइल डाउनलोड या अपलोड न करें। वीडियो कॉल न करें। स्टारलाइट टेक्नोलॉजी के आनंद अर्ग्रवाल ने चेतावनी दी है कि बढ़ती मांग नहीं रुकी तो हमारे मोबाइल नेटवर्क पर बहुत लोड पड़ेगा, नतीजा बहुत खराब हो सकता है।
प्रतिव्यक्ति डाटा का खर्च सबसे अधिक है भारत में
11 करोड़ जीबी डाटा हर माह औसतन भारतीय इस्तेमाल कर लेते है, जो पूरी दुनिया में सबसे अधिक है। यह स्थिति फरवरी 2020 की है, जबकि 2019 में हमने हर माह 9.8 जीबी डाटा का इस्तेमाल किया। नोकिया इंडिया के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर अमित मारवाह बताते है कि भारत में 47 फीसद ब्रॉडबैंड का इस्तेमाल होता है, जबकि चीन में 95 फीसद। भारतीय उपयोगकर्ता 70 फीसद डाटा मनोरंजन के लिए इस्तेमाल करते हैं।
दोगुना हो गया डाटा का उपयोग
- सीओएआइ ने रिपोर्ट दी है कि जनता कफ्र्य और लॉकडाउन में कुछ सर्किल में डाटा की मांग में 100 फीसद का भारी उछाल देखा गया है।
- स्टारलाइट टेक्नोलॉजी के सीईओ आनंद अग्रवाल ने बताया कि डाटा की मांग में 30 फीसद से लेकर 100 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।
- सीओएआइ की रिपोर्ट के मुताबिक सुबह 9 बजे से 11 बजे तक और शाम चार बजे से रात 10 बजे तक डाटा की मांग में वृद्धि हो जाती है।