इस तिथि को राम नवमी के नाम से जाना जाता है
महानवमी के दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि विधान से की जाती है। मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति को कार्य सिद्धि प्राप्ति होती है, साथ ही शोक, रोग एवं भय से भी मुक्ति मिलती है। देव, गंदर्भ, असुर, ऋषि आदि भी सिद्धियों की प्राप्ति के लिए मां सिद्धिदात्री की आराधना करते हैं। देवों के देव महादेव भी इनकी पूजा करते हैं। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को राम नवमी के नाम से जाना जाता है।
आइए जानते हैं महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त एवं महत्व के बारे में—
पूजा मुहूर्त
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानी चैत्र नवरात्रि की महानवमी का प्रारंभ 02 अप्रैल दिन बुधवार को प्रात:काल 03 बजकर 40 मिनट पर हो रहा है। महानवमी का समापन 03 अप्रैज दिन शुक्रवार को तड़के 02 बजकर 43 मिनट पर होगा। ऐसे में आपको महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा ब्रह्म मुहूर्त में कर लेना चाहिए।
प्रार्थना
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
मंत्र
1. ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।
2. अमल कमल संस्था तद्रज:पुंजवर्णा, कर कमल धृतेषट् भीत युग्मामबुजा च।
मणिमुकुट विचित्र अलंकृत कल्प जाले; भवतु भुवन माता संत्ततम सिद्धिदात्री नमो नम:।
कौन हैं मां सिद्धिदात्री
कमल के फूल पर विराजमान और सिंह की सवारी करने वाली मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं में गदा, चक्र, कमल का फूल और शंख धारण करती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्माण्ड के आरंभ में सर्वशक्तिमान देवी आदि पराशक्ति भगवान शिव के शरीर के बाएं भाग पर सिद्धिदात्री स्वरूप में प्रकट हुई थीं।
पूजा का महत्व
महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की होने वाली पूजा से व्यक्ति को समस्त प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं। मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करके आप अपने समस्त शोक, रोग एवं भय से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। मार्कण्डेय पुराण में बताया गया है कि देवों के देव महादेव जब तारक मन्त्र देते हैं तो मां सिद्धिदात्री मन्त्र धारण करने वाले व्यक्ति को मोक्ष प्रदान करती हैं।
पूजा विधि
आज महानवमी के दिन प्रात:काल में स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। इसके पश्चात मां सिद्धिदात्री की विधि विधान से पूजा करें, जिसमें उनको पुष्प, अक्षत्, सिंदूर, धूप, गंध, फल आदि समर्पित करें। आज के दिन मां सिद्धिदात्री को तिल का भोग लगाएं। ऐसा करने से आपके जीवन में आने वाली अनहोनी से अपका बचाव होगा। मां सिद्धदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं, इनकी पूजा ब्रह्म मुहूर्त में करना उत्तम होता है।
भोग
मां दुर्गा को मीठा हलुआ, पूरणपोठी, खीर, मालपुआ, केला, नारियल और मिष्ठान्न बहुत प्रिय है। नवरात्रि में उनको प्रतिदिन इनका भोग लगाना चाहिए। माता रानी को सभी प्रकार का हलुआ पसंद है।
कन्या पूजा
मां सिद्धिदात्री की आरती के पश्चात महानवमी को भी लोग कन्या पूजन करते हैं। कन्याओं को मां दुर्गा का साक्षात् स्वरूप माना गया है। कन्या पूजन के लिए आप कन्याओं को अपने यहां निमंत्रित करें। उनके आगमन पर उनका चरण धोकर स्वागत करें और उनको श्रद्धा पूर्वक आसन पर बैठाएंं। अब उनका अक्षत्, पुष्प आदि से पूजन करें और आरती उतारें। इसके पश्चात उनको घर पर बने पकवान भोजन के लिए परोसें। भोजन हो जाने के बाद उनके चरण छूकर आशीर्वाद लें तथा दान-दक्षिणा देकर उनको खुशी-खुशी विदा करें।