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#ChaitraNavratri2018 : तीसरे दिन होगी देवी चंद्रघंटा की आराधना
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मंगलवार दि॰ 20.03.18 को चैत्र शुक्ल तृतीय के उपलक्ष्य में तीसरे नवरात्र के अंतर्गत दुर्गा के तीसरे स्वरूप देवी चंद्रघंटा का पूजन किया जाएगा। देवी चन्द्रघण्टा मनुष्य के नवयोवन अवस्था के प्रेम को संबोधित करती हैं।
इनका स्वरूप परम शक्तिशाली व वैभवशाली है
- शुक्र ग्रह पर आधिपत्य रखने वाली देवी चंद्रघंटा का स्वरूप चमकते तारे जैसा है।
- शास्त्रों ने चंद्रघंटा के रूप को युद्ध में डटे योद्धा की भांति बताया है व इन्हें वीर रस की देवी कहा है।
- इनका स्वरूप परम शक्तिशाली व वैभवशाली है। इनके मस्तक में घंटे का आकार का अर्धचंद्र है। सिंहरूड़ा देवी रत्नों से सुशोभित हैं व इन्होंने अपने 10 हाथों में खड्ग, अक्षमाला, धनुष, बाण, कमल, त्रिशूल, तलवार, कमण्डलु, गदा, शंख, बाण आदि अस्त्र धरण किए हैं।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार देवी चन्द्रघण्टा की साधना का संबंध अग्नि तत्व से है व इनकी दिशा दक्षिण-पूर्व है।
- कालपुरूष सिद्धांत के अनुसार शुक्र प्रधान आग्नेय कोण की स्वामिनी चंद्रघंटा का संबंध व्यक्ति की कुंडली के दूसरे व सातवें घर से है अतः व्यक्ति के सुख, ऐश्वर्य, संपन्नता, प्रेम, कामनाएं, भोग व सुखी दांपत्य से है।
- चंद्रघंटा की साधना सर्वाधिक रूप से उन लोगों को फलित होती है जिनकी आजीविका का संबंध सौन्दर्य प्रसाधन, कला, अभिनय, नाटक, थियेटर, कंप्यूटर डिजाइनिंग सेवा से है।
- इनकी पूजा गुलाबी फूलों से कर इन्हें चावल की खीर का भोग लगाना चाहिए व श्रृंगार में इन्हें इत्र अर्पित करना चाहिए।
- इनकी साधना से उपासक को धन, ऐश्वर्य, प्रेम, सुखी दांपत्य व संपन्नता मिलती है।
- इनकी साधना से अविवाहिततों का शीघ्र विवाह होता है, प्रेम में सफलता मिलती है व धन की प्राप्ति होती है।
विशेष पूजन विधि
- गुलाबी कपड़े पर देवी चंद्रघंटा का चित्र स्थापित कर विधिवत पूजन करें।
- नारियल तेल का दीप करें, गुलाब की अगरबत्ती करें, गुलाल चढ़ाएं, इत्र चढ़ाएं, गुलाब के फूल चढ़ाएं, चावल की खीर का भोग लगाएं व स्फटिक की माला से इस विशेष मंत्र का 108 बार जाप करें।
- पूजन के बाद भोग प्रसाद रूप में कन्या को खिलाएं।
पूजन मंत्र: ॐ चण्डघंटायै देव्यै: नमः॥
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