उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में युवा पत्रकार त्रिपाठी की हत्या
UttarPradesh के उन्नाव में पत्रकार शुभम त्रिपाठी की हत्या का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ( NHRC ) पहुंच गया है। जानकारी के अनुसार इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ( NHRC ) ने राज्य सरकार और राज्य के पुलिस महानिदेशक dgp को नोटिस जारी किए हैं। खबरों के मुताबिक पत्रकार journalist शुभम त्रिपाठी कानपुर से प्रकाशित होने वाले हिंदी दैनिक कंपू मेल के लिये काम करते थे। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने रेत माफिया पर कथित तौर पर खबर छापने वाले एक पत्रकार की उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुई हत्या के सिलसिले में राज्य सरकार और राज्य के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किए हैं।
दोस्त के साथ घर लौट रहे थे…
पुलिस अधीक्षक SP रोहन पी कनाय ने बताया कि पिछले शुक्रवार को त्रिपाठी को उन्नाव की दूध मंडी के पास उस समय गोली मार दी गयी थी जब वह मोटरसाइकिल पर अपने दोस्त के साथ घर लौट रहे थे। उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया जहां उनकी मौत हो गयी।
आयोग ने एक बयान जारी कर कहा
अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पत्रकार की हत्या पर मीडिया में आई खबरों का संज्ञान लिया और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव तथा पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को नोटिस जारी किये हैं। आयोग ने एक बयान जारी कर कहा कि सरकार की लोकतांत्रिक प्रणाली में, मीडिया को चौथा स्तंभ माना जाता है, जिसे इस तरह से निर्मम तरीके से असमाजिक तत्वों का शिकार नहीं बनने दिया जा सकता।
स्वतंत्र एजेंसी से निष्पक्ष जांच
आयोग के बयान में कहा गया है कि त्रिपाठी जिले में अवैध रेत खनन के बारे में रिपोर्टिंग कर रहे थे और उनकी जान को खतरा था। कथित तौर पर उनके विरोधियों ने भी जिलाधिकारी के समक्ष उनके खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी। बयान में कहा गया है कि राज्य सरकार को इस विषय की एक स्वतंत्र एजेंसी से निष्पक्ष जांच कराने को भी कहा गया है और इसमें राज्य सीबी सीआईडी को प्राथमिकता देने को कहा गया है। मृतक के परिवार की और मामले के गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को भी कहा गया है।
फोरेंसिक साक्ष्य को सुरक्षित रखा जाए
बयान में कहा गया है कि जांच के दौरान जुटाये गए कॉल रिकार्ड के ब्योरे और अन्य फोरेंसिक साक्ष्य को सुरक्षित रखा जाए क्योंकि आयोग मामले पर विचार के दौरान उन्हें मंगा सकता है। इस मामले में चार हफ्तों के अंदर जवाब की अपेक्षा की जाती है। आयोग ने बयान में कहा कि खबरों में यह कहा गया है कि कई मामलों में मीडिया कर्मियों को असमाजिक तत्वों द्वारा निशाना बनाया गया है और ज्यादातर मामलों में पुलिस अधिकारियों द्वारा दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
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