गुरु के प्रति आस्था को प्रगट किया जाता है
चारों वेदों के रचयिता और महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना करने वाले वेद व्यास की जयंती
#GuruPurnima : 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का त्योहार है। इस पर्व पर अपने गुरु के प्रति आस्था को प्रगट किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन विधिवत रूप से गुरु पूजन किया जाता है। इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म भी हुआ था, इसको व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन को चारों वेदों के रचयिता और महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना करने वाले वेद व्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा के दिन पर अपने गुरुओं और बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है। गुरु पूर्णिमा पर गुरु का पूजन करने की परंपरा है। महर्षि वेद व्सास की जयंती पर इस पर्व को मनाया जाता है। चारों वेदों, 18 पुराणों , महाभारत के रचयिता और कई अन्य ग्रंथों के रचनाकार का श्रेय महर्षि वेद व्यास को दिया जाता है। वेदों का विभाजन करने के कारण इनका नाम वेद व्यास पड़ा। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरुओं की पूजा और उनका सम्मान करते हुए उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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कौन हो सकता है आपका गुरु?
सामान्यतः हम लोग शिक्षा प्रदान करने वाले को ही गुरु समझते हैं, परन्तु वास्तव में ज्ञान देने वाला शिक्षक बहुत आंशिक अर्थों में गुरु होता है. जन्म जन्मान्तर के संस्कारों से मुक्त कराके जो व्यक्ति या सत्ता ईश्वर तक पहुंचा सकती हो, ऐसी सत्ता ही गुरु हो सकती है. हिंदू धर्म में गुरु होने की तमाम शर्तें बताई गई हैं, जिसमें से प्रमुख 13 शर्तें निम्न प्रकार से हैं.
-शांत/दान्त/कुलीन/विनीत/शुद्धवेषवाह/शुद्धाचारी/सुप्रतिष्ठित/शुचिर्दक्ष/सुबुद्धि/आश्रमी/ध्याननिष्ठ/तंत्र-मंत्र विशारद/निग्रह-अनुग्रह
कैसे करें गुरु की उपासना…
गुरु को उच्च आसन पर बैठाएं.
उनके चरण जल से धुलाएं और पोंछे.
फिर उनके चरणों में पीले या सफेद पुष्प अर्पित करें .
इसके बाद उन्हें श्वेत या पीले वस्त्र दें.
यथाशक्ति फल, मिष्ठान्न दक्षिणा अर्पित करें.
गुरु से अपना दायित्व स्वीकार करने की प्रार्थना करें.
गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा 4 जुलाई 2020 को सुबह 11 बजकर 33 मिनट से अगले दिन यानी 5 जुलाई 2020 को सुबह 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगी. इस बीच आप किसी भी वक्त गुरु की उपासना कर सकते हैं.
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