शिव पंचाक्षर मंत्र और शिव पंचाक्षर स्तोत्र
सावन माह में भगवान शिव की पूजा का विधान है, आज हम उसी कड़ी में शिव पंचाक्षर मंत्र और शिव पंचाक्षर स्तोत्र के बारे में बता रहे हैं। भगवान शिव की आराधना करते समय अक्सर आप शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करते हैं.
आइए जानते हैं…
शिव पंचाक्षर मंत्र
कहा जाता है कि भगवान शिव ने समस्त मानव जाति के कल्याण के उद्देश्य से स्वयं शिव पंचाक्षर मंत्र ‘ओम नमः शिवाय’ की उत्पत्ति की। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसे सबसे पहला मंत्र माना जाता है। इसकी मदद से सभी प्रकार की सिद्धियों का प्राप्त किया जा सकता है। इसके जाप से मनुष्य के किए गए पापों का नाश होता है।
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शिव पंचाक्षर स्तोत्र
शिव पंचाक्षर स्तोत्र भगवान शिव की स्तुति के लिए लिखा गया है। इसमें भगवान शिव के स्वरूप एवं गुणों का बखान किया गया है, साथ ही भगवान शिव की वंदना की गई है। जब भी शिव पूजा करें तो शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:।।
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:।।
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:।।
वषिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नम: शिवाय:।।
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नम: शिवाय:।।
पंचाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेत शिव सन्निधौ।
शिवलोकं वाप्नोति शिवेन सह मोदते।।
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे ‘न’ काराय नमः शिवायः।।
सावन में शिव महिमा का बखान
किसी भी व्यक्ति को उसकी प्रिय चीज देकर प्रसन्न करना एक आम बात है। भगवान शिव तो वैसे ही भोलेनाथ और औघड़ दानी हैं। उनके बारे में सबको ज्ञात है कि वे आसानी से प्रसन्न हो सकते हैं। उनके प्रिय मास सावन में आप भगवान शिव के महिमा का गान करके, मंत्रों का जाप करके उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।