अजा एकादशी का व्रत vrat 15 अगस्त यानी शनिवार को पड़ रहा है…
#Aja Ekadashi Katha : अजा एकादशी का व्रत vrat 15 अगस्त यानी शनिवार को पड़ रहा है। इस दिन भगवान विष्णु Vishnu की आराधना की जाती है। कुंतीपुत्र युधिष्ठिर ने कहा, हे भगवान! भाद्रपद कृष्ण एकादशी Ekadashi का क्या नाम है? इस व्रत की माहात्मय कृपा और विधि कहिए। इस पर मधुसूदन ने कहा कि भाद्रपद कृष्ण एकादशी Ekadashi का नाम अजा है। यह एकादशी हर तरह के पापों का नाश करती है। इस दिन भगवान श्री विष्णु जी की पूजा-अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन भगवान ऋषिकेश की आराधना करते हैं उन्हें वैकुंठ की प्राप्ति जरूर होती है।
कथा सुनें…
प्राचीन समय में एक चक्रवर्ती राजा थे जिनका नाम हरिशचंद्र था। किसी कर्म के वशीभूत होकर राजा हरीशचंद्र ने अपना सारा राज्य, धन, स्त्री, पुत्र और खुद को बेच दिया। वह चांडाल का दास बन गया था और वो सत्य को धारण करता हुआ मृतकों का वस्त्र ग्रहण करने लगा। वह किसी भी तरह से सत्य से विचलित नहीं हुआ। वो कई बार इस सोच में पड़ जाता था कि वो कहा जाएं या क्या करें जिससे सब ठीक हो जाए और उसका उद्धार हो।
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इसी तरह कई वर्ष बीत गए। वह इसी चिंता में एक दिन बैठा हुआ था कि गौतम ऋषि आ गए। ऋृषि को देखकर राजा हरिशचंद्र ने उन्हें प्रणाम किया। राजा ने ऋृषि को अपनी कहानी सुनाई। यह सुनकर गौतम ऋषि ने कहा, आज से ठीक 7 दिन के बाद आपके जीवन में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी आएगी। इसका विधिपूर्वक व्रत उन्हें करना होगा। ऋृषि ने कहा कि यह व्रत करने से राजा के सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। यह कहकर ऋषि अंतर्ध्यान हो गए।
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जैसा ऋृषि ने कहा था राजा हरीशचंद्र ने विधिपूर्वक व्रत व जागरण किया। यह व्रत vrat करने से राजा के सभी पाप नष्ट हो गए। फूलों की बारिश हुई और स्वर्ग में बाजे बजने लगे। सिर्फ यही नहीं, राजा ने अपने मृतक पुत्र को जीवित और अपनी स्त्री को वस्त्र और आभूषणों के साथ देखा। राजा को उनका राज्य वापस मिल गया। आखिरी में राजा अपने पूरे परिवार के साथ स्वर्ग गया।
अत: जो मनुष्य सच्चे मन और विधिपूर्वक इस व्रत vrat को करता है, साथ ही रात जागरण भी करता है, उसके समस्त पापों का अंत हो जाता है और वो स्वर्गलोक को प्राप्त होता है।