गणेश जी अपने भक्तों के सारे विध्न, बाधाएं दूर करते हैं
#GaneshChaturthi : प्रथम पूजनीय गणेश जी को लोग अपने घर में स्थापित करते हैं। गणेश जी अपने भक्तों के सारे विध्न, बाधाएं दूर करते हैं। यही कारण है कि गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। गणेश जी को अपने घर पर आदर-सत्कार के साथ स्थापित कर ग्यारहवें दिन उन्हें धूमधाम के साथ विसर्जित कर दिया जाता है।
गजानन को रिद्धि-सिद्धि और सुख-समृद्धि का प्रदाता माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, गणपति बप्पा अपने भक्तों को संकट, कष्ट, दरिद्रता और रोगों से मुक्ति दिलाते हैं।
इस दिन को गणेशोत्सव भी कहा जाता है। इसका अर्थ गणेश चतुर्थी का उत्सव। यह उत्सव आज के 10 दिन के बाद अनन्त चतुर्दशी Anant Chaturdashi के दिन समाप्त होता है। इसी दिन लोग गणपति बप्पा को विदाई देते हैं। अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु-जन बड़े ही धूम-धाम के साथ गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन करते हैं। पं. के अनुसार, भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेशजी का जन्मदिवस मनाया जाता है जिसे गणेश चतुर्थी कहते हैं।
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इस तरह होगा कष्टों का निवारण…
चतुर्थी के दिन श्रीगणेश की पूजा की जाए तो व्यक्ति को विशेष वरदान प्राप्त होता है। साथ ही अगर व्रत किया जाए तो परिवार के सदस्यों के बीच आपसी सौहार्द में भी बढ़ोतरी होती है। कहा जाता है कि अगर व्यक्ति के जीवन में कोई रुकावट या बाधा आती है तो उसे संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को दही अर्पित करनी चाहिए इससे उन्हें लाभ मिलता है। इससे बिगड़े काम बनने लगते हैं। वहीं, अगर कोई जातक परेशानियों से घिरा हुआ हो तो उसे चतुर्थी के दिन शक्कर मिली दही में छाया देखकर भगवान गणेश को अर्पित कर देना चाहिए। इससे रुके हुए काम बन जाते हैं। गणेश चतुर्थी GaneshChaturthi के दिन गणेश जी दुर्वा चढ़ानी चाहिए। दुर्वा गणेश जी को बेहद प्रिय होती है। कहते हैं दुर्वा में अमृत का वास होता है। मान्यता है कि अगर गणेश जी को दुर्वा अर्पित की जाए तो स्वास्थ का लाभ मिलता है।गणेश चतुर्थी को डंडा चौथ भी कहा जाता है। गणपति बप्पा को ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि आदि के दाता माने जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन से विद्याध्ययन का शुभारंभ होता था। इस दिन बच्चे डंडे बजाकर खेलते हैं। इसी के चलते ही कई जगहों पर इस उत्सव को डंडा चौथ भी कहते हैं। कहा जाता है कि गणेश चतुर्थी GaneshChaturthi भगवान गणेश का जन्मदिवस है। इस दिन गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है। महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी GaneshChaturthi का यह उत्सव utsav लगभग दस दिनों तक मनाया जाता है। इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है। मान्यता है कि इनका जन्म मध्याह्न काल में हुआ था। ऐसे में इनकी पूजा मध्याह्न में ही की जाती है।