कलश को मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है…
भारतीय ज्योतिषिय प्रयोगों में कलश का अपना महत्व है। कलश Kalash को मंगल कलश या मंगल कुम्भ कहा जाता है। इसे मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। इसके मुख में भगवान विष्णु, कंठ में भगवान शिव और मूल में भगवान ब्रह्मा का वास होता है।
जानते हैं, कलश के मांगलिक प्रयोग जिनसे पूजा का पूरा फल मिले…
सभी देवताओं की प्रसन्नता…
ज्योतिष शास्त्रों में वर्णित है कि मंगल कलश Kalash में सभी देवी-देवताओं और तीर्थों का वास होता है। घर की पूजा में रखा जाने वाल कलश Kalash संपन्नता का प्रतीक होता है। इसकी स्थापना से सभी देवी देवता प्रसन्न होते है तथा कार्य सिद्ध होने में सहायता मिलती है।
प्रयोग…
कलश का प्रयोग तमाम तरह के पूजन जैसे- नवरात्रि पूजन, दीपावली पूजन, गृह प्रवेश पूजन, अक्षय तृतीया पूजन आदि में होता है। किसी भी घर में कलश को दो जगहों पर रखना अत्यंत ही शुभ परिणाम देने वाला होता है। इसमें पहला स्थान हमारा पूजा घर और दूसरा मुख्य द्वार है। दोनों ही स्थानों पर रखे जाने वाले कलश में पवित्र नदी का जल डालकर ही रखना चाहिए। यदि आपके पास किसी पवित्र नदी का जल उपलब्ध न हो तो आप ताजा जल लेकर उसमें गंगाजल मिलाकर रखें।
यह भी खबरें पढें :
जानें, राधा-कृष्ण के 100 साल तक विरह की वजह
इस दिन से शुरु हो रहा है #PITRIPAKSHA, जानें विधि एवं मंत्र
जानें, क्या है बप्पा के तीसरे अवतार इस अवतार की पौराणिक कथा
लाभ…
घर के बाहर भी कलश Kalash रखने का विधि विधान होता है।घर के बाहर रखे जाने वाले कलश का मुंह चौड़ा और खुला होना चाहिए। जिसमें ताजे आम के पत्ते और अशोक के पेड़ की पत्तियां रख सकते हैं। ज्योतिष के अनुसार ये शुक्र और चंद्र ग्रह का प्रतीक है।आम के पत्तों का संबंध बुध ग्रह से होता है। चूंकि कलश का संबंध संपन्नता से होता है ऐसे में दरवाजे के पास रखा कलश Kalash आपके घर में सुख-समृद्धि लेकर आएगा और बाहर से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को रोकने का काम करेगा।
महात्मय…
पौराणिक कथाओं pauranik kathaon में कलश Kalash की पवित्रता और दिव्यता का उल्लेख मिलता है। जैसे समुद्र मंथन में निकला अमृत कलश जो कि देवताओं और असुरों द्वारा मंदराचल पर्वत से मथने से निकला था। ऋग्वेद में सोम पूरित और अथर्ववेद में घी और अमृत पूरित कलश का वर्णन मिलता है। जीवन से मृत्यु तक कलश Kalash अनेक रूप में प्रयोग होता है।
वास्तु के अनुसार पूजा में प्रयोग किए जाने वाले मंगल कलश की स्थापना हमेशा ईशान कोण में की जाती है।
शुद्ध जल आदि डालकर विधि-विधान से रखा गया कलश घर में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।
जमीन में कलश को रखने से पहले रोली से अष्टदल कमल बनाएं और उस पर रखें।
इसके बाद कलश में कुछ आम के पत्ते और सिक्का डालकर उसके मुख पर पानी वाला नारियल रख दें।
इसके बाद कलश देवता का रोली, अक्षत, पुष्प से पूजन करें. कलश पर स्वास्तिक का चिंह बनाएं। कलश के गले पर मोली बांधे।
यह भी खबरें पढें :
#GANESHCHATURTHI : इस तरह होगा आपके कष्टों का निवारण
#PITRIPAKSHA : जानिए, श्राद्ध का विधान और किस तारीख को है कौन-सा श्राद्ध
विभिन्स माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी. ”