आज से शुरू हो गया है पितृपक्ष
#PitriPaksha : सनातन मान्यता के अनुसार जो परिजन अपना देह त्यागकर चले गए हैं, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ जो तर्पण Tarpan किया जाता है, उसे श्राद्ध Śrāddha कहा जाता है. पितृपक्ष PitriPaksha आज से शुरू हो गया है जो 17 सितंबर तक रहेगा.
पौराणिक मान्यता
मान्यता है कि जब महाभारत के युद्ध में दानवीर कर्ण का निधन हो गया और उनकी आत्मा स्वर्ग पहुंच गई, तो उन्हें नियमित भोजन की बजाय खाने के लिए सोना और गहने दिए गए. इस बात से निराश होकर कर्ण की आत्मा ने इंद्र देव से इसका कारण पूछा. तब इंद्र ने कर्ण को बताया कि आपने अपने पूरे जीवन में सोने के आभूषणों को दूसरों को दान किया लेकिन कभी भी अपने पूर्वजों को भोजन दान नहीं दिया. तब कर्ण ने उत्तर दिया कि वो अपने पूर्वजों के बारे में नहीं जानता है और उसे सुनने के बाद, भगवान इंद्र ने उसे 15 दिनों की अवधि के लिए पृथ्वी पर वापस जाने की अनुमति दी ताकि वो अपने पूर्वजों को भोजन दान कर सके. इसी 15 दिन की अवधि को पितृ पक्ष PitriPaksha के रूप में जाना जाता है.
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जाने, कौन कहलाते हैं पितर?
जिस किसी के परिजन चाहे वो विवाहित हों या अविवाहित हों, बच्चा हो या बुजुर्ग, स्त्री हो या पुरुष उनकी मृत्यु हो चुकी है उन्हें पितर कहा जाता है, पितृपक्ष PitriPaksha में पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण Tarpan किया जाता है. पितरों के प्रसन्न होने पर घर में सुख शांति आती है.
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जब याद ना हो तिथि
पितृपक्ष PitriPaksha में पूर्वजों का स्मरण और उनकी पूजा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. जिस तिथि पर हमारे परिजनों की मृत्यु होती है उसे श्राद्ध Śrāddha की तिथि कहते हैं. बहुत से लोगों को अपने परिजनों की मृत्यु की तिथि याद नहीं रहती ऐसी स्थिति में शास्त्रों के अनुसार आश्विन अमावस्या Amavasya को तर्पण Tarpan किया जा सकता है. इसलिये इस अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है.