देश की सड़क सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में केंद्र सरकार (central government) ने एक अहम कानून बनाया है. इसके तहत अब सड़क हादसे में किसी की मौत पर रोड़ बनाने वाली कंपनी को दोषी माना जाएगा. इसके साथ ही निर्माण कंपनी-ठेकेदार पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लिया जाएगा.
देश की सड़क सुरक्षा सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग की डिजाइन में खामी, मरम्मत अथवा रख-रखाव में लापरवाही के चलते सड़क हादसे में मृत्यु होने पर पहली बार निर्माण कंपनी-ठेकेदार पर 1,00,000 रुपये का जुर्माना तय किया है। यह नियम एक अक्तूबर से लागू हो गया है। इसके साथ ही राजमार्ग परियोजना से संबंधित इंजीनियर, कंसल्टेंट, हितधारकों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उक्त कानून को एक अप्रैल से लागू करना था, लेकिन लॉकडाउन के चलते इसमें देरी हुई। उन्होंने बताया कि मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2020 के सेक्शन 198-ए में इसका प्रावधान किया गया है। मंत्रालय ने इस बाबत एक अक्तूबर से लागू करने संबंधी अधिसूचना जारी कर दी है। इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग की डिजाइन में खामी के कारण सड़क हादसे (Road accident) में व्यक्ति की मौत होने पर निर्माण कंपनी-ठेकेदार को अधिकतम एक लाख रुपये का जुर्माना व सजा का प्रावधान किया गया है।
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हादसे में संबंधित इंजीनियर, कंसल्टेंट, हितधारकों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. आपको बता दें कि मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2020 के सेक्शन 198-ए में इसका प्रावधान किया गया है. हालांकि, ये नियम फिलहाल नेशनल हाईवे के लिए है.
इसके अलावा सड़क किनारे दुर्घटना होने पर मदद करने वालों को राहत दी गई है. सरकार (government)ने ऐसे ‘नेक आदमी’ के संरक्षण के नियम बना दिए हैं. इसके चलते पुलिस (police) अब ऐसे लोगों पर पहचान जाहिर करने का दबाव नहीं बना सकेगी. सरकार ने मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम-2019 में एक नई धारा 134 (ए) को जोड़ा है. यह धारा सड़क हादसों के दौरान पीड़ितों की मदद के लिए आगे आने वाले ‘नेक आदमी’ को संरक्षण प्रदान करती है.
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ऐसे लोगों के साथ सम्मानजनक व्यवहार होना चाहिए. उनके साथ धर्म, राष्ट्रीयता, जाति और लिंग को लेकर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. बयान के मुताबिक, ‘‘कोई भी पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति ऐसे मददगार पर उनकी पहचान, पता या अन्य निजी जानकारी साझा करने का दबाव नहीं बना सकेगा. हालांकि, यदि व्यक्ति चाहे तो स्वैच्छिक आधार पर जानकारी दे सकता है. ’’
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