प्रदूषण नियंत्रण और लोगों के स्वास्थ्य के मद्देनजर पटाखे जलाने/फोड़ने पर रोक लगाने की मांग से जुड़े मामले का दायरा दिल्ली-एनसीआर तक बढ़ाते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 18 राज्यों से जवाब मांगा है। एनजीटी ने बिहार, असम, गुजरात सहित 18 राज्यों को नोटिस जारी कर यह बताने के लिए कहा है कि खराब वायु गुणवत्ता के मद्देनजर क्यों न पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगा दी जाए। जिन 18 राज्यों को नोटिस जारी किया गया है, वहां पर वायु की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है।
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने पटाखों को 7 नवंबर से 30 नवंबर के बीच बैन करने को लेकर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. कोर्ट ने कहा कि जो भी राज्य इस मामले में अपनी रिपोर्ट दाखिल करना चाहते हैं वह कल शाम 4:00 बजे तक कर सकते हैं. दिल्ली सरकार ने भी एनजीटी से कल तक का वक्त मांगा है जिससे प्रदूषण को लेकर आज होने वाली मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी एनजीटी को दी जा सके.
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एमिकस ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने भले ही ग्रीन पटाकों को चलाने की मंजूरी दे दी हो, लेकिन उनसे भी प्रदूषण होता है. ऐसे में पूरी स्थिति को एक बार फिर से देखे जाने की जरूरत है. फिलहाल कोविड का समय है और प्रदूषण जिस तरह से खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है, ऐसे में अगर पटाकों को बैन नहीं किया गया तो कोविड के मरीजों के लिए आगे और परेशानी बढ़ सकती है. फिलहाल पटाकों को बैन करने के अलावा हमारे पास कोई चारा नहीं है.
एमिकस ने कहा कि फिलहाल प्रदूषण का जो स्तर है और हवा में जो खतरनाक पार्टीकल हैं, उनसे न केवल कोविड मरीजों बल्कि सांस के मरीजों और बीपी के मरीजों के लिए भी जानलेवा व खतरनाक है. वायु प्रदूषण बढ़ने पर ऐसे मरीजों की परेशानी और बढ़ेगी.
सुनवाई के दौरान डॉक्टरों की कुछ रिसर्च को भी कोर्ट के सामने रखते हुए कहा कि वायु प्रदूषण बढ़ने और PM 2.5 के बढ़ने के बाद सांस लेने से पार्टिकल्स फेफड़ों और खून में जाकर हार्ट अटैक तक का खतरा बढ़ा देते हैं. यह बात भी रखी गई कि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में पटाकों पर बैन लगाकर ग्रीन पटाकों को चलाने की इजाजत दी थी, लेकिन 2019 की दीवाली में ग्रीन पटाकों के चलाने के बावजूद भी देश के बढ़े शहरों में प्रदूषण का स्तर कम नहीं हुआ.
इस पर कोर्ट ने कहा कि हम किसी भी त्यौहार को न मानने के पक्ष में नहीं हैं, हमारा इरादा सिर्फ आम लोगों के स्वास्थ्य और जान को बचाना है. इस दौरान कोर्ट ने पूछा कि क्या कोविड के चलते प्रदूषण आम लोगों के लिए और खतरनाक हुआ है? एमिकस ने कहा कि ये 2019 के आखिर में शुरू हुआ और ये नई स्तिथि है, जिसको देखे जाने की जरूरत है.कोर्ट ने कहा कि कल रात को लुटियन जोन में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 384 था और वो भी कमरे के अंदर. ऐसे में प्रदूषण की खतरनाक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. एमिकस ने कहा कि लोग फिर भी पटाकों को चलाने की जिद कर रहे हैं. इस दौरान एनजीटी ने यह भी कहा कि जश्न जीवन का मनाया जाना चाहिए, मौत का नहीं.
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इससे पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने चार राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा,दिल्ली और राजस्थान से जवाब मांगा था कि क्या 7 नवंबर से पूरे महीने के लिए पटाखों के इस्तेमाल और खरीद पर पूरी तरह से बैन लगाया जा सकता है.
एनजीटी ने आज 5 नवंबर तक सभी को जवाब देने के निर्देश दिए थे. कल राजस्थान सरकार ने एनजीटी को बताया था कि पटाखों पर बैन लगा दिया गया है, जबकि दिल्ली में बैन को लेकर मीटिंग का दौर जारी है और उम्मीद की जा रही है कि दिल्ली सरकार भी एक-दो दिन में पटाखों पर बैन का आदेश जारी करेगी.
वहीं, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार (Government of Haryana) ने अभी तक कोर्ट में अपना रुख साफ नहीं किया है. एनजीटी ने सोमवार को पर्यावरण मंत्रालय, दिल्ली सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, हरियाणा सरकार,राजस्थान सरकार, दिल्ली पुलिस कमिश्नर, सेंट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड, दिल्ली पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड को पटाखों को बैन करने को लेकर नोटिस जारी किया था.