#ChandraGrahan : 30 नवंबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा। इसके बाद दिसंबर में आखिरी चंद्र ग्रहण (ChandraGrahan) लगेगा। आपको बता दें कि इस साल कुल 6 ग्रहण थे, जिसमें से एक चंद्र ग्रहण नवंबर में और एक सूर्य ग्रहण दिसंबर में लग रहा है। यह एक उपछाया चंद्र ग्रहण होगा। इसलिए इस चंद्र ग्रहण (ChandraGrahan) का सूतक काल मान्य नहीं होगा।
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ज्योतिषियों के अनुसार इस ग्रहण का असर बिल्कुल भी नहीं होगा, इसलिए इस ग्रहण के समय मंदिर आदि बंद नहीं किए जाएंगे। ज्योतिषियों के अनुसार चंद्र ग्रहण वृषभ राशि और रोहिणी नक्षत्र में लगेगा। इसका विभिन्न राशियों पर भी प्रभाव पड़ेगा। यह ग्रहण भारत, अमेरिका, प्रशांत महासागर, एशिया और आस्ट्रेलिया में दिखाई देगा।
तिथि और समय
ग्रहण का प्रारम्भ: 30 नवंबर 2020 की दोपहर 1:04 बजे।
ग्रहण का मध्यकाल: 30 नवंबर 2020 की दोपहर 3:13 बजे।
ग्रहण समाप्त : 30 नवंबर 2020 की शाम 5:22 बजे।
चंद्रग्रहण
पूर्णिमा की रात को चंद्रमा पूर्णत: गोलाकार दिखाई पड़ना चाहिए, किन्तु कभी-कभी अपवादस्वरूप चंद्रमा के पूर्ण बिम्ब पर धनुष या हसिया के आकार की काली परछाई दिखाई देने लगती है। कभी-कभी यह छाया चांद को पूर्ण रूप से ढक लेती है। पहली स्थिति को चन्द्र अंश ग्रहण या खंड-ग्रहण कहते हैं। दूसरी स्थिति को चंद्र पूर्ण ग्रहण या खग्रास कहते हैं। चंद्रमा सूर्य से प्रकाश प्राप्त करता है। उपग्रह होने के नाते चंद्रमा अपने अंडाकार कक्ष-तल पर पृथ्वी का लगभग एक माह में पूरा चक्कर लगा लेता है। चंद्रमा और पृथ्वी के कक्ष तल एक दूसरे पर 5 डिग्री का कोण बनाते हुए दो स्थानों पर काटते हैं। इन स्थानों को ग्रंथि कहते हैं। चंद्रमा और पृथ्वी परिक्रमण करते हुए सूर्य की सीधी रेखा में नहीं आते हैं इसलिए पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर नहीं पड़ पाती है, किन्तु पूर्णिमा की रात्रि को परिक्रमण करता हुआ चंद्रमा पृथ्वी के कक्ष के समीप पहुंच जाए और पृथ्वी की स्थिति सूर्य और चंद्रमा के बीच ठीक एक सीध में हो तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। चंद्रमा की ऐसी स्थिति को चन्द्र ग्रहण कहते हैं।
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