पंजाब नेशनल बैंक (PNB) की मुख्य शाखा के लॉकर से पूर्व उप निदेशक सूचना नवलकांत तिवारी के 35 लाख के करीब के गहने गायब होने से हड़कम्प मच गया है। 9 साल बाद तिवारी दम्पति ने लॉकर खोला तो उसमें गहनों की जगह धूल मिली। खाली लॉकर देखकर सब भौचक रह गए। बैंक (BANK) ने जांच के आदेश दिए हैं जबकि पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर तहकीकात शुरू कर दी है।
मूल रूप से देवरिया जिले के रुद्रपुर, परसा जंगल गांव के रहने वाले नवलकांत तिवारी उप निदेशक सूचना के पद पर रहते हुए अपनी पत्नी स्नेहलता के साथ पंजाब नेशनल बैंक में संयुक्त खाता खुलवाया था। दोनों ने 1996 में बैंक में लॉकर भी लिया। उन्हें 768 नम्बर का लॉकर आवंटित हुआ। तिवारी दम्पति ने लॉकर में शादी के सभी गहने, बर्थडे वगैरह और दूसरे समारोहों में मिलने वाले कीमती उपहारों को रखा था। धीरे-धीरे लॉकर में 30 से 35 लाख के जेवरात रखे गए। इसके बाद नवलकांत तिवारी का जिले से तबादला हो गया और वह व्यस्त हो गए। अब रिटायर होने के बाद वह गोरखपुर अपनी ससुराल में एक वैवाहिक समारोह में शिरकत के लिए आए तो पत्नी ने लॉकर से कुछ गहने निकालने की इच्छा जाहिर की।
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तिवारी दम्पति ने बैंक (BANK) से सम्पर्क किया तो बताया गया कि आखिरी बार दो जून 2011 में लॉकर ऑपरेट हुआ है इसलिए केवाईसी करानी होगी। दम्पति ने केवाईसी करा लिया। फिर बैंक (BANK) के बचत खाते में 25,000 रुपए नकद व 25 हजार की एफडीआर कराई गई ताकि उसी से लॉकर का सालाना शुल्क अदा होता रहे। औपचारिकता पूरी कर दम्पति गुरुवार को अपरान्ह 3 बजे लॉकर ऑपरेटर करने पहुंचे।
पत्नी स्नेहलता जब बैंक कर्मी के साथ पहुंची तो लॉकर देख पहले ही चौंकी। क्योंकि उनके लाकर पर एक अलग से ताला लगा हुआ था जोकि गायब था। चाबी उनके पास थी। उसे नजरअंदाज कर उन्होंने लॉकर की चाबी लगाई और बैंक (BANK) कर्मी ने अपनी चाबी। लॉकर खुला तो सब अवाक रह गए। क्योंकि लॉकर में कुछ भी नहीं था। सिर्फ धूल जमी हुई थी। इसके बाद बैंक में हड़कम्प मच गया। तिवारी दम्पति ने बैंक प्रबंधक को जानकारी दी। बैंक प्रबंधक ने जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही मुख्यालय को इस घटना से अवगत करा दिया है। तिवारी दम्पति ने कैंट थाना में पीएनबी (PNB) के अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ तहरीर दी है। एफआईआर दर्ज कर पुलिस जांच कर रही है।
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बैंक के रिकॉर्ड में 2014 को सरेंडर हो गया था लॉकर
चार नवंबर को पति के साथ स्नेहलता लॉकर आपरेट करने बैंक पहुंची तो अधिकारियों ने बताया कि छह जून 2014 को उन्होंने लाकर सरेंडर कर दिया है। लाकर सरेंडर करने के लिए आवेदन न देने की जानकारी देने और प्रमाण के तौर पर चाभी दिखाने पर बैंक वालों ने अपनी गलती मानी। इसके बाद अधिकारियों ने लॉकर का पिछला बकाया (25 हजार रुपये) जमा कराने के बाद केवाईसी अपडेट कराया।
गोरखपुर में नौकरी के दौरान लॉकर ऑपरेट होता रहता था। बाद में गाजियाबाद में तैनाती हो गई। 2 जून 2011 में मैंने अन्तिम बार लॉकर ऑपरेट किया था। शादी के बाद पत्नी के सारे गहने लॉकर में ही रखा था। वर्तमान समय में उसकी अनुमानित कीमत 35 लाख के करीब होगी।
– नवलकांत तिवारी, पूर्व उप निदेशक सूचना
लॉकर ग्राहक 2011 के बाद अब बैंक आए हैं। उन्हें लॉकर का नम्बर भी याद नहीं था। हमने प्रयास करके उन्हें सिस्टम से खोजकर नम्बर बताया। जबकि हमारे सिस्टम में 2014 में लॉकर सरेण्डर दिखा रहा था। उनके पास चाभी थी। उन्होंने अपना परिचय बताया उसके बाद उन्हें पूरा सहयोग किया गया। बैंक नियमावली के अनुसार कोई भी बैंककर्मी किसी भी लॉकर में रखे हुए सामान के संबंध में कोई भी जानकारी नहीं रखता है। बैंक के सिस्टम में संबंधित व्यक्ति के लॉकर के 2014 में सरेंडर किए जाने के मामले की तहकीकात की जा रही है। इस संबंध में हेड ऑफिस को पत्र लिख दिया गया है।
– कुमार अमिताभ, मुख्य प्रबंधक पीएनबी