JAIHINDTIMES
#HIGHCOURT : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों में डिजिटल संसाधनों की उपलब्धता में भारी अंतर पर गहरी चिंता जताई है। सरकार से पूछा है कि कोरोना काल में उसने इस खाई को पाटने के लिए क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट (COURT) का मानना है कि यदि सरकार चाहती तो अनलॉक पीरियड का बेहतर इस्तेमाल कर शहरी और ग्रामीण बच्चों की शिक्षा के बीच की इस खाई को पाट सकती थी। इस मुद्दे पर कोर्ट ने प्राथमिक शिक्षा पर सरकार की नीतियों को समझने के लिए महानिदेशकऔर सचिव बेसिक शिक्षा को तीन दिसंबर को तलब किया है।
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कोर्ट ने कहा कि सरकार (Government) ने तबादलों के लिए कई दलीलें दी हैं मगर आज तक यह नहीं बताया कि उत्तर प्रदेश
(Uttar Pradesh) में स्कूल कब से खुलने जा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि उनकी चिंता समाज में व्यापक तकनीकी असंतुलन को लेकर है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में एक पूर्ण विभाजन रेखा है, एक ओर जहां शहरी क्षेत्र में रह रहे हर घर में एडवांस सेल्युलर फोन हैं जिससे उनके बच्चे ऑन क्लास करके अपने शिक्षा जारी रखे हुए हैं वहीं सरकार ने उन इलाकों के लिए अब तक कोई कार्ययोजना नहीं बनाई हैं जहां बच्चे ऐसी सुविधाओं से वंचित हैं।
परिषदीय शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादले को लेकर दिव्या गोस्वामी केस में हाईकोर्ट के आदेश में संशोधन के लिए दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने दिया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सत्र के बीच में शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादले न किए जाएं। प्रदेश सरकार इसमें संशोधन चाहती है। याची पक्ष से अधिवक्ता ने बहस की।
कोर्ट का कहना है कि संक्रमण के कारण स्कूल बंद चल रहे हैं जबकि ग्रामीण इलाकों में इसका बहुत मामूली प्रभाव है। सरकार के पास यह सुनहरा अवसर था कि वह कुछ अध्यापकों को इस काम लगा कर लोगों का भरोसा जीतने का प्रयास करती । वह अध्यापक सुविधा संपन्न और वंचित बच्चों के बीच की खाई को भरने का काम कर सकते हैं। अध्यापक गांवों में जाकर बच्चों को छोटे-छोटे समूह में पढ़ा सकते हैं। कोर्ट ने प्राथमिक शिक्षा पर सरकार की नीतियों को समझने के लिए महानिदेशकऔर सचिव बेसिक शिक्षा को तीन दिसंबर को तलब किया है।
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