#HIGHCOURT : सरकारी नौकरी के साथ 2012 से ‘लिव इन रिलेशन’ में रह रहे जोड़े से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी सेवा की शर्तों के बारे में पूछा है। यह जोड़ा अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर अदालत पहुंचा था। मामले की अगली सुनवाई सात दिसम्बर को होगी।
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हरदोई की प्रज्ञा सिंह और बरेली के मेराज अली की ओर से दाखिल इस याचिका में कहा गया था कि दोनों सरकारी नौकरी में रहते हुए 2012 से लिव इन रिलेशन में रह रहे हैं। याचिका में मांग की गई है कि उनके शांतिपूर्ण जीवन में विपक्षियों के हस्तक्षेप करने पर रोक लगाई जाए। उन्हें सुरक्षा दी जाए। गौरतलब है कि एसपी बरेली को लिखे पत्र में याची ने स्वयं को दूसरे याची की पत्नी बताया है। जबकि याचिका में नहीं लिखा कि वे अविवाहित हैं।
जस्टिस एसपी केशरवानी और जस्टिस डॉ वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। उन्होंने याची को दूसरे याची की पत्नी बताने पर और याचिका में अविवाहित नहीं लिखने पर सवाल किया कि शादीशुदा हैं या नहीं? कोर्ट ने पूछा कि याची यदि लिव-इन-रिलेशन में हैं तो सरकारी नौकरी की सेवा शर्ते क्या हैं? कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से सर्विस रिकार्ड तलब करने के साथ-साथ एक हफ्ते में जवाब मांगा है। इसके अलावा याचियों से भी पूरक हलफनामा मांगा है।
लिव इन रिलेशन में रह रही दो महिलाओं को हाईकोर्ट ने दी थी बड़ी राहत
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने लिव इन रिलेशन में रह रही दो महिलाओं को इसी महीने अपने एक आदेश से बड़ी राहत दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि समाज की नैतिकता न्यायालय के फैसलों को प्रभावित नहीं कर सकती। न्यायालय का दायित्व है कि संवैधानिक नैतिकता व लोगों के अधिकारों को संरक्षण प्रदान करे। इसी के साथ कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक शामली को लिव इन में रह रही दो महिलाओं (याचियों) को संरक्षण देने का निर्देश दिया है। कोर्ट (COURT) ने एसपी से कहा है कि दोनों को कोई परेशान न करे।
यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता एवं न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने शामली के तैमूरशाह मोहल्ले की सुल्ताना मिर्जा व विवेक विहार निवासी किरन रानी की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। दोनों महिलाओं का कहना था कि वे बालिग हैं व दोनों नौकरी कर रही है और काफी समय से लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रही हैं। परिवार व समाज इसका विरोध कर रहा है। उन्हें परेशान किया जा रहा है और पुलिस संरक्षण नहीं मिल रहा है। जबकि विश्व के कई देशों सहित सुप्रीम कोर्ट (Supreme court)ने नवतेज सिंह जोहर केस में समलैंगिकता को मान्यता दी है। साथ ही लिव-इन-रिलेशनशिप को भी मान्य ठहराया है। उन्हें अपनी मर्जी से जीवन जीने का अधिकार है और संविधान के अनुच्छेद 21के तहत सेक्सुअल ओरियेन्टेशन का अधिकार शामिल है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि न्यायालय का दायित्व है कि संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करे।
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