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#HighCourt : छोटे किसानों से ऋण वसूली के लिए बैंक बलपूर्वक प्रयास न करें
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किसानों के धरने-प्रदर्शनों को लेकर #HighCourt में दायर जनहित याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा है कि केस की अगली सुनवाई 8 अप्रैल तक बैंक छोटे किसानों से 2 लाख रुपए तक के ऋण वसूली को लेकर बलपूर्वक कदम न उठाएं।
ऋण तले दबे किसानों द्वारा आत्महत्याएं किए जाने
- हाईकोर्ट ने यह भी साफ किया है कि ऋण लेकर महंगे विवाह करने और महंगी गाड़ि लेने वालों के लिए कोई उदारता नहीं दिखाई जा सकती।
- हाईकोर्ट ने कहा कि किसानों से जुड़े मामलों में पीड़ितों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए।
- बैंच ने ऋण तले दबे किसानों द्वारा आत्महत्याएं किए जाने पर भी ङ्क्षचता जताई।
- हाईकोर्ट ने सरकार का जवाब रिकार्ड पर ले लिया है और साथ ही मामले में एमिकस क्यूरी आर.एस. बैंस व एक अन्य किसान यूनियन के सुझावों पर सरकार को गौर करने को कहा है।
- सुझावों में कहा गया था कि ऋण के बोझ तले दबे किसानों की जमीन अटैच न की जाए। वहीं हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर सरकारें किसानों के लिए ठोस नीतियां बनाएं तो धरने-प्रदर्शनों की जरूरत ही न पड़े।हाईकोर्ट ने साथ ही कहा कि आत्महत्या कायराना कदम है।
- मामले में एडीशनल चीफ सैक्रेटरी (विकास) विश्वजीत खन्ना ने निजी रूप से पेश होकर कोर्ट को बताया कि फार्मर लोन वेवर स्कीम के तहत वर्ष 2017-18 के वित्त वर्ष ऋण माफी के लिए 308 करोड़ रुपए दिए गए थे।
- वहीं 2018-19 के लिए 4250 करोड़ रुपए का प्रस्ताव रखा गया है।
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