Chandigarh
सर्वे ऑफ इंडिया के नक्शे के अनुसार सुखना कैचमेंट में आने वाले सभी निर्माण गिराने के आदेश पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab-Haryana High Court) ने रोक लगा दी है। इसके साथ ही पंजाब और हरियाणा (Punjab and Haryana) दोनों सरकारों को निर्माण के लिए दोषी करार देते हुए लगाए गए 100-100 करोड़ के जुर्माने के आदेश पर भी रोक लगाई है.
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जस्टिस जसवंत सिंह पर आधारित खंडपीठ का यह आदेश दो मार्च के आदेश पर पुनर्विचार की मांग को लेकर कांसल निवासियों समेत पंजाब सरकार द्वारा दायर अर्जी पर सुनवाई के दौरान आया है। हाईकोर्ट (High Court) ने सुखना कैचमेंट एरिया मामले में लिए संज्ञान का निपटारा करते हुए दो मार्च को आदेश दिया था कि सर्वे ऑफ इंडिया के नक्शे में जिस जगह को कैचमेंट एरिया बताया गया है वहां सभी निर्माण गिराए जाएं।
जांच के लिए एसआईटी गठित की जाए
जिन्होंने निमाण की स्वीकृति ली थी उन्हें पंजाब-हरियाणा (Punjab and Haryana) और चंडीगढ़ (Chandigarh) पास ही किसी अन्य वैकल्पिक जगह पर बसाने की व्यवस्था करें। इसके साथ ही सभी को 25-25 लाख मुआवजा भी सरकार को देना होगा। जिन अधिकारियों के कार्यकाल में निर्माण कार्य की इजाजत दी गई थी उनकी जांच के लिए एसआईटी गठित की जाए और दोषियों पर कार्रवाई हो।
हाईकोर्ट की अनुमति अनिवार्य
हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आदेश पर रोक लगाते हुए सुनवाई 18 मार्च तक स्थगित कर दी और साथ यह भी स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई तक कोई नया निर्माण न हो यह सुनिश्चित किया जाए। किसी भी निर्माण और मरम्मत के कार्य हेतू हाईकोर्ट की अनुमति अनिवार्य होगी।
यह थी दलील
अर्जी दाखिल करते हुए हाईकोर्ट (High Court) को बताया गया कि आदेश जारी करते हुए कुछ गलतियां हुई थी। सर्वे ऑफ इंडिया के जिस नक्शे को स्वीकार किया बताया गया है असल में उसे स्वीकार किया ही नहीं गया। इसके अतिरिक्त जिस कमेटी को इसे मंजूर करना था उसने डिमार्केशन के लिए सब कमेटी गठित की थी। साथ ही आरटीआई में सर्वे ऑफ इंडिया ने बताया कि नक्शा तैयार करते हुए किसी एक्सपर्ट एजेंसी की सहायता नहीं ली गई थी।
हजारों की संख्या में हैं नक्शे के अनुसार अवैध निर्माण
सर्वे ऑफ इंडिया के नक्शे के अनुसार सुखना कैचमेंट के इलाके में हजारों की संख्या में मकान आते हैं। यहां तक कि हाईकोर्ट (High Court) की इमारत का कुछ हिस्सा भी सुखना के कैचमेंट एरिया में आता है। हाईकोर्ट (High Court) के आदेश से स्थानीय निवासियों को ही नहीं बल्कि हाईकोर्ट (High Court) की इमारत को भी नुकसान होना था। ऐसे में अब रोक के आदेश से हजारों परिवारों को बड़ी राहत मिली है।
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