#Ekadashi : व्रतों में सबसे महत्वपूर्ण व्रत एकादशी (Ekadashi) का व्रत (vrat)होता है. पौष मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी पौष पुत्रदा एकादशी कहलाती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. मान्यता है कि ये व्रत करने वालों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को करना उत्तम माना जाता है. इस बार पुत्रदा एकादशी 24 जनवरी को मनाई जाएगी.
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व्रत को रखने के नियम?
यह व्रत दो प्रकार से रखा जाता है निर्जला और फलाहारी या जलीय व्रत. सामान्यतः निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए. व्रत से एक दिन पहले सात्विक भोजन करना चाहिए. प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें. इसके बाद गंगा जल, तुलसी दल, तिल, फूल पंचामृत से विष्णु भगवान की पूजा करें. व्रत के अगले दिन किसी जरुरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें.
संतान की कामना के लिए क्या करें?
संतान कामना के लिए इस दिन भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की भी पूजा की जाती है. इसके लिए प्रातः काल पति-पत्नी को संयुक्त रूप से श्री कृष्ण की उपासना करनी चाहिए . उन्हें पीले फल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें. इसके बाद संतान गोपाल मन्त्र का जाप करें. मंत्र जाप के बाद पति पत्नी संयुक्त रूप से प्रसाद ग्रहण करें. एकादशी (Ekadashi) के दिन भगवान् कृष्ण को पंचामृत का भोग लगाएं.
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