RAHUL PANDEY
KANPUR
गैंगस्टर विकास दुबे ( VIKASH DUBEY ENCOUNTER ) ने अगर बिकरू कांड न किया होता तो शायद कलक्ट्रेट में चल रहा फर्जी शस्त्र लाइसेंस का खेल कभी उजागर नहीं हो पाता। बिकरू कांड के बाद विभागीय जांच में खुलासा हुआ था कि विकास दुबे व एक मंत्री समेत 200 लाइसेंस धारकों की फाइलें गायब हैं। एक अखबार के मुताबिक अब शस्त्र लाइसेंस के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। कलक्ट्रेट से शस्त्र लाइसेंस की 14 हजार फाइलें गायब हैं। शासन की ओर से आईपीएस देव रंजन वर्मा के नेतृत्व में गठित एसआईटी ने जब जांच शुरू की तब खुलासा हुआ। एसआईटी (SIT) ने बड़े पैमाने पर जांच शुरू की है। इसमें कई अफसरों के नपने की संभावना है। जिला प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक शहर में 41 हजार 600 शस्त्र लाइसेंस धारक हैं।
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कोतवाली में असलहा विभाग के बाबू के खिलाफ केस भी हुआ था। वहीं डेढ़ साल पहले भी फर्जीवाड़ा हुआ था। इसके बाद शासन ने आईपीएस देव रंजन वर्मा के नेतृत्व में एक एसआईटी गठित कर जांच सौंपी। सूत्रों के मुताबिक कुल शस्त्र लाइसेंसों में 14 हजार लाइसेंस की फाइल ही नहीं मिल रही हैं। इनका रिकॉर्ड जिला प्रशासन एसआईटी को नहीं दे सका है। एसआईटी ने पुराने रिकॉर्ड खंगालने के साथ सभी असलहा विभाग के कर्मचारियों का ब्योरा भी प्रशासन से मांगा है। माना जा रहा है कि आपराधिक इतिहास होते हुए भी लाइसेंस बने। शायद इसी वजह से फाइलों में हेरफेर किया गया।
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सत्यापन करना एसआईटी के लिए बड़ी चुनौती
शस्त्र लाइसेंस व फाइल पर जिलाधिकारी, एडीएम सिटी, सिटी मजिस्ट्रेट समेत अन्य अफसरों के हस्ताक्षर होते हैं। हर चरण में एक-एक दस्तावेज का सत्यापन किया जाता है। सूत्रों के मुताबिक कई सौ शस्त्र लाइसेंस ऐसे हैं, जिन पर स्वीकृति करने वाले अफसरों के नाम व हस्ताक्षर तक नहीं हैं। जो फाइलें गायब हैं वो दशकों पुरानी हैं। इन सभी का सत्यापन करना एसआईटी के लिए बड़ी चुनौती होगी।