हिन्दू कैलेंडर के अनुसार साल का तीसरा महिना ज्येष्ठ आज 27 मई से शुरू हो गया है, जो 25 जून को समाप्त होगा। ज्येष्ठ माह (Jyestha month) को आम बोलचाल की भाषा में जेठ का महिना भी कहा जाता है। इस महिने में भारत के उत्तरी भाग में भीषण गर्मी पड़ती है। महिने के शुरुआती दिनों में नौतपा के चलते तेज गर्म हवाएं चलती हैं। शास्त्रों में ज्येष्ठ के महिने का खास धार्मिक महत्व बताया गया है।
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ज्येष्ठ माह नाम कैसे पड़ा
ज्येष्ठ या जेठ के महिने में गर्मी अपने चरम पर रहती है। सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस महिने को ज्येष्ठ कहा जाता है, साथ ही ज्येष्ठा नक्षत्र होने के कारण भी इस महिने को ज्येष्ठ कहा जाता है। जेठ के महीने में धर्म का संबंध पानी से जोड़ा गया है, ताकि जल का संरक्षण किया जा सके। जेठ के महिने में पानी से जुड़े 2 व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं। पहला है गंगा दशहरा तो दूसरा निर्जला एकादशी है।
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धार्मिक महत्व
ज्येष्ठ महीने में सूर्य अपने रौद्र रूप में होता है, जिसके चलते गर्मी बढ़ जाती है, साथ ही बढ़ जाता है पानी का महत्व। शास्त्रों में इस महीने में पानी के संरक्षण पर खास जोर दिया गया है।
ज्येष्ठ मास में जल के दान का बहुत बड़ा महत्व है। भीषण गर्मी में पानी की दिक्कत होने ही लगती है, जिसके चलते कई लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिल पाता, इसलिए इस महीने जल का दान करना अत्यंत लाभकारी बताया गया है।
जेठ माह में घर की किसी भी खुली जगह या छत पर चिड़ियों के लिए दाना और पानी रखना चाहिए। गर्मी के कारण नदी-तालाब सूखने लगते हैं, जिसके चलते पक्षियों को पानी नहीं मिल पाता, इसलिए घर के बाहर या छत पर पक्षियों के लिए दाना-पानी जरूर रखें। मान्यता है कि पक्षियों को दाना-पानी देना लाभकारी होता है।
वैसे तो सूर्य को जल चढ़ाना हमेशा ही शुभ माना गया है, लेकिन ज्येष्ठ के महिने में इसका महत्व बढ़ जाता है। रोज सुबह सूर्य को जल चढ़ाना बहुत ही लाभकारी होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस महिने सूर्य की पूजा का विशेष महत्व होता है।
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ज्येष्ठ के महीने में भगवान राम से पवनपुत्र हनुमान की मुलाकात हुई थी, जिसके चलते ये महीना हनुमानजी की पूजा के लिए बहुत खास है। जेठ में श्री राम के साथ हनुमानजी की पूजा करना शुभ फलदायी होता है। इसी महीने बड़े मंगलवार का पर्व मनाया जाता है, जिसमें हनुमानजी की खास पूजा होती है।