RAHUL PANDEY
KANPUR
आखिर आप क्यों नहीं मानते की सरकार से सवाल करना आप पर भारी पड सकता है। मेडिकल कॉलेज (MEDICAL COLLEGE) को मरीजों के बेहतर इलाज के लिए अप्रैल 2020 में एग्वा कंपनी के वेंटिलेटर दिए गए थे। दो वेंटिलेटरों का उपयोग बाल रोग विभाग में किया जा रहा था। पीएम केयर फंड से मिले एग्वा कंपनी के वेंटिलेटर पर सवाल उठाने का खामियाजा जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर को भुगतना पड़ा। बिना मामले की गहन जांच कराए बाल रोग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नेहा अग्रवाल के निलंबन का आदेश जारी कर दिया गया। साथ ही विभागाध्यक्ष डॉ. यशवंत राव से भी जवाब तलब किया गया है। शासन के इस फैसले से डॉक्टरों में आक्रोश है।
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क्या था मामला
मेडिकल कॉलेज को मरीजों के बेहतर इलाज के लिए अप्रैल 2020 में एग्वा कंपनी के वेंटिलेटर दिए गए थे। दो वेंटिलेटरों का उपयोग बाल रोग विभाग में किया जा रहा था। जुलाई के पहले सप्ताह में वेंटिलेटर चलते-चलते बंद हो गया। इस वजह से ट्युबरकुलर मेनिनजाइटिस से पीड़ित बच्ची को तत्काल एडवांस वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया था। चार दिन बाद मौत हो गई थी। इस पर पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) इंजार्ज डॉ. नेहा अग्रवाल ने विभागाध्यक्ष को पत्र लिखकर वेंटिलेटर खराब होने की बात कही थी।
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पीआईसीयू इंचार्ज के पत्र का हवाला देते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. यशवंत राव ने तत्कालीन प्राचार्य डॉ. आरबी कमल को लिखे पत्र में कहा था कि वेंटिलेटर उपयोग के लायक नहीं है। इस पर शासन ने डॉक्टर को ही बच्चे की मौत का जिम्मेदार ठहरा दिया। इससे शासन के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं।
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शहर के डॉक्टरों में आक्रोश
डॉ. नेहा अग्रवाल के निलंबन से शहर के डॉक्टरों में आक्रोश है। उनका कहना है कि डॉ. अग्रवाल और डॉ. राव ने मरीजों की जान की हिफाजत के लिए पत्र लिखा था। सरकार अपनी खामियों को छिपाने के लिए डॉक्टरों पर शिकंजा कस रही है। सरकार को वेंटिलेटर निर्माता कंपनी पर कार्रवाई करनी चाहिए। घटना से नाराज डॉक्टरों ने निलंबन वापस लेने की मांग की है।