सावन (sawan) माह की पहली एकादशी कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) होती है। यह श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है। इस वर्ष कामिका एकादशी व्रत 04 अगस्त दिन बुधवार को है। कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है।
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पूजा मुहूर्त
एकादशी तिथि का प्रारंभ: 03 अगस्त दिन मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से।
एकादशी तिथि का समापन: 04 अगस्त दिन बुधवार को दोपहर 03 बजकर 17 मिनट पर।
सर्वार्थ सिद्धि योग: 04 अगस्त को प्रात: 05:44 बजे से 05 अगस्त को प्रात: 04:25 बजे तक।
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व्रत का पारण
कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) व्रत का पारण 05 अगस्त को प्रात: 05 बजकर 45 मिनट से सुबह 08 बजकर 26 मिनट के मध्य होगा।
कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) के दिन पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती अवश्य करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आरती देवताओं का गुणगान है और उससे पूजा में जो कमी होती है, वह पूर्ण हो जाती है। इस वजह से पूजा के बाद आरती अवश्य करें।
आरती
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करें॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय…॥
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ओम जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ओम जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ओम जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ओम जय…॥
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