हिंदू पंचाग के अनुसार भाद्रपद मास (Bhadrapad Month) के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पिठौरी अमावस्या (Pithori Amavasya) या कुशग्रहणी अमावस्या (Kushgrehani Amavasya) के नाम से भी जाना जाता है. इस बार ये 7 सितंबर को मनाई जाएगी. इस दिन विवाहिता महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. कुशग्रहणी अमावस्या के दिन मंदिरों के दर्शन करने और पवित्र नदी में स्नान करने की मान्यता है. इस दिन पितरों के लिए तर्पण (Tarapan on Amavasya) भी किया जाता है क्योंकि पिठौरी अमावस्या को पितरों की शांति के लिए उत्तम माना गया है.
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महत्व
पिठोरी अमावस्या के दिन मां दुर्गा सहित 64 देवियों की आटे से मूर्तियां बनाते हैं। महिलाएं इस दिन आटे से बनी देवियों की पूजा-अर्चना करती हैं और व्रत रखती हैं। इसलिए इसे पिठोरी अमावस्या कहते हैं। अमावस्या के दिन दान, तप और स्नान का विशेष महत्व है। स्नान के बाद पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण और पिंडदान किए जाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पूजन विधि
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें। नदियों में स्नान से बचें क्योंकि इन दिनों नदियों में बाढ़ आई हुई है। ऐसे में घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें। भगवान विष्णु और महादेव की विधि-विधान से पूजन अर्चन के साथ दान पुण्य करें।
भाद्रपद अमावस्या इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन धार्मिक कार्यों के लिए कुश (Kush) यानि घास इकट्ठी की जाती है, जो कि काफी फलदायी मानी जाती है. कहते हैं कुश के बिना पूजा को पूर्ण नहीं माना जाता. धार्मिक मान्यता है कि अगर किसी की कुंडली में कालसर्प योग (Kal Sarp Yog) या कोई अन्य परेशानी है तो उसे भी भाद्रपद अमावस्या के दिन निवारण किया जा सकता है. आइए डालते हैं एक नजर भादो अमावस्या के उपाय पर…
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भादो अमावस्या (Bhado Amavasya) के दिन करें ये
अगर किसी की कुंडली में पितृ दोष (Pitra Dosh) है और किसी कार्य को करने में रुकावटें आ रही हैं, तो वे इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण कर सकता है. कहते हैं ऐसा करने से आपके जीवन में आ रही सभी बादाएं दूर हो जाती हैं और पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है.
अगर किसी व्यक्ति के जीवन में परेशानियां या समस्याएं आ रही हैं, तो इस भादो अमावस्या के दिन किसी गौशाला में हरी घास और धन का दान कर सकते हैं. इससे लाभ होगा.
भाद्रपद अमावस्या में शनिदेव की पूजा (Shanidev Puja) करना भी अच्छा माना जाता है. इस दिन शनिदेव की पूजा का भी खास महत्व है. इस दिन शनिग्रह (Shanigrih) से संबंधित चीजें जैसे काले तिल, सरसों का तेल और काला कंबल आदि का दान करना चाहिए.
भादो अमावस्या के दिन हनुमान मंदिर (Hanuman Temple) में सरसों के तेल का दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है. कहते हैं कि इस दिन मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ करने और सरसों के तेल का दीपक जलाने से मनोकामना पूर्ण होती है.
भाद्रपद अमावस्या के दिन सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे चीनी मिश्रित जल चढ़ाएं और आटे के दीपक में 5 बत्ती लगाकर जलाने से लाभ होता है. इसके अलावा 7 या 11 परिक्रमा करने से धन प्राप्ति की इच्छा पूर्ण होती है.
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प योग (Kal Sarp Yog) है तो उन्हें भादो अमावस्या के दिन इस का निवारण करना चाहिए. कालसर्प योग से छुटकारा पाने के लिए चांदी के नाग-नागिनी नदी में प्रवाहित करें एंव दान करने से लाभ होता है. बता दें कि किसी की कुंडली में कालसर्प योग का दोष राहु-केतु (Rahu-Ketu) के कारण होता है.
जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है वे इस दिन गाय को दही और चावल खिलाएं. इससे उन्हें मानसिक शांति मिलेगी.
इस दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करें.
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