RAHUL PANDEY
कोर्ट के आदेश के बाद कानपुर (KANPUR) के दो बड़े हॉस्पिटल रीजेंसी के खिलाफ स्वरुपनगर थाने में और KMC के खिलाफ नजीराबाद थाने में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है। दोनों अस्पतालों के प्रबंधकों और डॉक्टर्स पर कोरोनाकाल (CORONA) के दौरान मरीजों के परिजन से लाखों रुपए वसूलने का आरोप लगा है। रीजेंसी में एक मरीज के अंग निकालने का भी आरोप है।पुलिस के मुताबिक, रीजेंसी हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर, पांच डॉक्टरों और आईसीयू स्टाफ के खिलाफ FIR हुई है, जबकि कानपुर मेडिकल सेंटर (KMC) के प्रबंधक और एक डॉक्टर पर आरोप लगे हैं।
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रीजेंसी पर क्या लगा आरोप
स्वरूप नगर में रहने वाले रोहन टंडन का आरोप है कि उनके पिता सतीश चंद्र टंडन (65) की कोविड रिपोर्ट एक अगस्त 2020 को पॉजिटिव आई थी। इसके बाद उन्होंने उनको रीजेंसी अस्पताल गोविंद नगर में भर्ती कराया था। आरोप है कि तीन दिन बाद उनके पिता ने फोन कर बताया कि ऑक्सीजन की पाइप निकल गई है, लेकिन कोई देखने वाला तक नहीं है।
हालत बिगड़ने पर 3 अगस्त को उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया और 25 अगस्त को उनकी मौत हो गई। रोहन का आरोप है कि हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने भर्ती होने के दौरान मरीज को देखने तक नहीं दिया और न कोई जानकारी दी। इलाज में लापरवाही की वजह से उनके पिता की मौत हो गई। कोरोना के इलाज के नाम पर 14.56 लाख रुपए का बिल बना दिया था। इतना ही नहीं मेडिक्लेम से भुगतान होने के बावजूद उनसे 11 लाख 25 हजार रुपए वसूले गए। डेथ घोषित करने के बाद शव को करीब 15 घंटे अस्पताल में रखा गया। उन्होंने अंग निकालने की भी आशंका जताई है।
एमडी समेत कई बडे और नामी डॉक्टर्स पर मुकदमा
स्वरूपनगर इंस्पेक्टर अश्विनी पांडेय ने बताया कि हॉस्पिटल के एमडी अभिषेक कपूर, डॉ. विनीत रस्तोगी, डॉ. राजीव कक्कड़, डॉ. शिखा सचान, डॉ. आदित्यनाथ शुक्ला, डॉ. अपूर्व कृष्णा और आईसीयू स्टाफ के खिलाफ गैर इरादतन हत्या, धोखाधड़ी समेत अन्य गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। केस की विवेचना शुरू कर दी गई है। साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
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केएमसी पर यह है आरोप
प्रतापगढ़ के रहने वाले विपिन कुमार सिंह कानपुर में कैंट इलाके मे रहते हैं। एफआईआर के मुताबिक विपिन ने 7 मई 2021 को अपनी मां उर्मिला सिंह को केएमसी अस्पताल लाजपत नगर में भर्ती कराया था। आरोप है कि नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टर सही से मरीज की देखरेख नहीं करते थे। विरोध करने पर मरीज से मारपीट और अभद्रता की गई। यह बातें उनकी मां ने फोन पर उसी दौरान बताई थीं। जब विपिन ने डॉक्टरों से शिकायत की तो 11 मई को उनकी मां का मोबाइल छीन लिया गया।
इतना ही नहीं कोविड रिपेार्ट निगेटिव आने के बाद भी वसूली के चक्कर में 11 दिनों तक उनकी मां को आईसीयू में रखा गया। जब मरणासन्न हालत हो गई तब 21 मई को डिस्चार्ज किया गया। तब कोई अस्पताल उनको एडमिट करने को तैयार नहीं था। 25 मई को उनकी मौत हो गई। अस्पताल ने इलाज के नाम पर 10 लाख भी वसूल लिए। नजीराबाद इंस्पेक्टर ज्ञान सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर अस्पताल के प्रबंधक डॉ. सौरभ चावला, और डॉ. संदीप पांडेय के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
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कमिश्नरेट पुलिस ने मामला बड़े अस्पतालों का होने के चलते दबा दिया था
कोरोना (CORONA) के इलाज के नाम पर लूटपाट और मरीजों का ढंग से इलाज नहीं करने पर कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। दोनों ही अस्पतालों के खिलाफ पहले पुलिस अफसरों से कंप्लेन की गई थी, लेकिन मामला बड़े अस्पतालों का होने के चलते दबा दिया गया था। इसके बाद पीड़ित परिवारों ने एफआईआर दर्ज करने के लिए कोर्ट में न्याय की गुहार लगाई। कोर्ट ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए मालिक समेत डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।