Allahabad High Court: प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे सहायक अध्यापकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के मामले में ऐसे अध्यापकों को राहत दी है, जिनकी पत्नियां भी अध्यापक हैं और अपनी ससुराल वाले जिले में नियुक्त हैं। साथ ही कोर्ट (COURT) ने ऐसे अध्यापकों को भी राहत दी है जो या तो स्वयं अथवा उनके माता-पिता किसी असाध्य रोग से पीड़ित हैं।
मीडिया की कार्यप्रणाली बेहद जटिल : डॉ मारा मिहेला पनाएट जानिए दशहरे से जुड़ी ये रोचक पौराणिक कथाएं आप सांसद संजय सिंह पर हमला, भाजपा की कायराना हरकत : सभाजीत सिंह MAHA ASTAMI पर अपनाएं ये विशेष उपाय
कोर्ट ने ऐसे अध्यापकों को विशेष परिस्थिति में मानते हुए एक जनपद में पांच वर्ष की सेवा अनिवार्यता से छूट पाने का हकदार माना है और उनके स्थानांतरण पर विचार कर निर्णय लेने का सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को आदेश दिया है। हालांकि कोर्ट ने उन अध्यापकों की अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग नामंजूर कर दी है जो स्थायी रूप से दिव्यांग हैं।
NAVRATRI: मां दुर्गा की महाविद्याओं की आरधना, पूरी होंगी… लखीमपुर हिंसा: 3 दिन की पुलिस रिमांड में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का बेटा आशीष
याचीगण का पक्ष रख रहे अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा का कहना था कि संजय सिंह व अन्य के केस में याचीगण की सेवा 5 साल की नहीं हुई है, किंतु उनकी पत्नियां दूसरे जिलों में नियुक्त हैं। उनका भी उन्हीं जिलों में स्थानांतरण किया जाए, जहां उनकी पत्नियां तैयार कार्यरत हैं। बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि 5 साल सेवा की अनिवार्यता में महिलाओं को छूट है, पुरुषों को ऐसी छूट नहीं है, इसलिए स्थानांतरण की मांग याचीगण की पत्नियां कर सकती हैं।
#UTTARPRADESH में आने वाला है बड़ा बिजली संकट! #AMITABHBACHCHAN ने कमला पसंद के साथ अनुबंध समाप्त कर दिया #KANPURNEWS : मनीष हत्याकांड में फरार पुलिस कर्मियों पर इनाम की राशि बढ़ाकर हुई एक लाख
कोर्ट का कहना था कि महिलाओं को अपने ससुराल वाले जिले में नियुक्ति पाने का अधिकार है। इस मामले में याचीगण की पत्नियां पहले से ही अपने ससुराल वाले जिले में नियुक्त हैं। इसलिए वे स्थानांतरण की मांग नहीं कर सकतीं। कोर्ट ने कहा कि पति पत्नी को एक ही जनपद में नियुक्ति पाने का अधिकार है। इसलिए सचिव बेसिक शिक्षा परिषद की याचीगण के प्रत्यावेदन पर 4 सप्ताह में विचार कर निर्णय लें।