RAHUL PANDEY
KANPUR: देश में पहली बार अंधता की बीमारी रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा के इलाज में स्टेम सेल का प्रयोग किया जाएगा। 23 नवंबर को हैलट (Hallet) के नेत्ररोग विभाग में स्टेम सेल थेरेपी विशेषज्ञ डॉ. बीएस राजपूत और विभागाध्यक्ष डॉ. परवेज आलम इसकी शुरुआत करेंगे।
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इसके लिए दो मरीजों की चिह्नित किया गया है। अभी तक रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा के मरीजों की आंखों में पीआरपी का इंजेक्शन लगाया जाता है। रोग को ठीक करने के लिए अभी तक 30 रोगियों को पीआरपी का इंजेक्शन दिया जा चुका है।
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यह होती है समस्या
रतौंधी में रेटीना की कोशिकाएं अपनी आप मरने लगती हैं, जिससे आंखों की नस सूखने लगती है। उसके बाद आंखों की रोशनी कम होती जाती है। रोशनी पांच से 10 वर्ष की उम्र तक पूरी तरह से चली जाती है।
जानें
आंख की रोड और कोन कोशिकाओं में फोटोपिगमेंट केमिकल (रसायन) होते हैं जो किसी भी चीज की पहचान कर मस्तिष्क को संदेश देता है। रोड सेल्स में रहोडोपसिन नामक फोटोपिगमेंट होता है, जो रात में अच्छी रोशनी के लिए जरूरी है।
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रतौंधी पीडि़तों पर पीआरपी के रिजल्ट बेहतर मिले हैं। इसे देखते हुए स्टेम सेल थेरेपी पर रिसर्च शुरू किया गया है। सभी औपचारिताएं पूरी कर पहले रतौंधी के मरीज पर स्टेम सेल थेरेपी दी जाएगी। उसके बाद असर पर अध्ययन किया जाएगा। – प्रो. परवेज खान, विभागाध्यक्ष, नेत्र रोग, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।
रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा के लक्षण
रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा में मरीज को पहले रात में दिखना बंद होता है, फिर दिन में। इसके बाद स्थायी रूप से अंधता आ जाती है। इस बीमारी में आंख के पर्दे में खराबी आती है।