लगातार बढ़ता प्रदूषण न सिर्फ हमारे फेफड़ों, दिल, दिमाग़ और त्वचा को प्रभावित करता है बल्कि इससे आंखों पर भी असर पड़ता है। स्मॉग से कई लोग आंखों में जलन, पानी और खुजली की शिकायर कर रहे हैं। ऐसे इसलिए क्योंकि प्रदूषण के छोटे-छोटे कण आंखों को भी इरिटेट करते हैं। ज़रूरत से ज़्यादा लैप्टॉप, मोबाइल, टीवी का उपयोग आपकी आंखों को प्रभावित करता है। इससे आखों में जलन, खुजली, दर्द, थकावट और सिर की शिकायत होने लगती है। आजकल वर्क फ्रॉम होम की वजह से हम सभी का काम बढ़ गया है। लगातार स्क्रीन पर देखने से ड्राई आइज़ की समस्या बेहद आम हो गई है। जिस तरह हमारे शरीर को आराम की ज़रूरत होती है, उसी तरह आंखों को भी आराम की ज़रूरत होती है।
#UTTARPRADESH : देर रात 8 IAS अफसरों के तबादले क्रिकेट प्रेमियों के लिए निराशा, BCCI ने कोरोना गाइडलाइन जारी की #KANPURNEWS : संगठित अपराध पर नकेल लगाने का नया प्लान तैयार
क्या है ड्राई आइज़?
आंखों का सूखापन या ड्राई आई डिज़ीज़ (DED) तेज़ी से बढ़ रही आंखों की समस्या है। डीईडी तब होता है जब मीबोमियन और लैक्रिमल ग्रंथियां पर्याप्त तेल और पानी के तरल पदार्थ उत्पन्न करने में विफल हो जाती हैं, या दूसरे शब्दों में कहें तो जब आप अपनी आंखों को चिकनाई और पोषण देने के लिए पर्याप्त गुणवत्ता वाले आंसू नहीं पैदा करती हैं। उचित मात्रा में आंखों में आंसु पैदा नहीं होने के चलते आंखों में नमी कम हो जाती है, जिसके चलते आंखों से संबंधी कई तरह की समसम्याओं का सामना करना पड़ात है। ड्राई आई डिज़ीज़ आंखों की एक बहुत ही कष्टकारक समस्या है।
डीईडी पर वायु प्रदूषण के प्रभाव
नेत्र विशेषज्ञों की मानें, तो आंखों में एलर्जी और इससे संबंधित अन्य समस्याओं का प्रमुख कारण हवा में धूल और धुआं की मात्रा अधिक होना है। बढ़ते प्रदूषण के कारण आंखों में सूखापन और नेत्र संबंधी एलर्जी की घटनाएं बढ़ रही हैं। हम सभी जानते हैं कि हमारी आंखें हमारे स्वास्थ्य का द्वार होती हैं और हम जो कुछ भी अनुभव करते हैं उसका लगभग 80% हमारी दृष्टि के माध्यम से होता है। चूंकि यह एक संवेदनशील अंग है जिसमें पर्यावरण का संपर्क अन्य अंगों की तुलना आसानी सो हो जाता है। वहीं दूसरी ओर, हवा में पैदा होने वाले दूषित पदार्थ आंखों में गंभीर जलन से लेकर लगातार बेचैनी तक पैदा करते हैं।
SUPREMECOURT : यूपी के अफसर अहंकारी और इसी काबिल सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा, एनसीआर में #लॉकडाउन लगे तो दिल्ली भी तैयार
आंखों में सूखेपन के क्या कारण हैं
आहार में पोषक तत्वों की कमी और ख़राब लाइफस्टाइल के साथ ही ऐसे कई कारण हैं जिसकी वजह से आंखों में सूखेपन की समस्या हो जाती है। जैसे, अत्यधिक कंप्यूटर का उपयोग, कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग, धूम्रपान करना, स्वास्थ्य जटिलताएं और एलर्जी सहित ऐसे कई कारण हैं, जो आपकी आंखों को ड्राई कर सकते हैं।
KANGANA RANAUT: माफी मांगने और पद्मश्री वापस करने को तैयार हैं, लेकिन… #KANPUR : गड्ढा मुक्त शहर को लेकर डीएम विशाख जी की बडी कार्रवाई
सूखेपन के संकेत और लक्षण
आंखों में रेडनेस
आखों में खुजली
रोशनी के प्रति संवेदनशीलता
हवा और धुएं के प्रति संवेदनशीलता
फोटोफोबिया
धुंधला दिखना
कानपुर में मिलावटखोरों की मौज, एडीएम कोर्ट में एक हजार से अधिक मामले लंबित जानें, कब लग रहा है साल का आखिरी चंद्र ग्रहण?
आंखों के सूखेपन का उपचार
कंप्यूटर, मोबाइल, टैब, टीवी के ज़्यादा उपयोग से होने वाली ड्राई आइज़, के लिए ड्राई आई थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें आर्टिफिशियल आंसू या अन्य चिकनाई वाली आई ड्रॉप के नियमित उपयोग सेआराम मिल सकता है। इसके अलावा डाइट्री सप्लीमेंट्स जैसे ठंडे पानी वाली मछली जैसे सैल्मन, सार्डिन, हेरिंग, कॉड, और ओमेगा -3 फैटी एसिड में उच्च अलसी के तेल जैसे डाइट्री सप्लीमेंट्स भी डीईडी में मददगार साबित हो सकती हैं।
जानें, कब लग रहा है साल का आखिरी चंद्र ग्रहण? #UTTAR PRADESH : पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति समेत तीन को आजीवन कारावास, जुर्माना
आंखों में संक्रमण या एलर्जी होने पर, आंखों की ठंडी सिकाई, अच्छा धूप का चश्मा, लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप का उपयोग किया जा सकता है। अगर आप कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं, तो इन्हें तब तक न पहनें जब तक आंखें पूरी तरह से ठीक न हो जाएं। इसके अलावा, ज़रूरी विटामिन और मिनरल्स से भरपूर डाइट लेना, स्वस्थ रहना, धूम्रपान छोड़ना, हाथों की सफाई बनाए रखना, और अपने परिवार के इतिहास का अध्ययन करना ज़रूरी है, क्योंकि कुछ आंखों के विकार आनुवंशिक होते हैं, इससे आपको जल्दी सावधानी बरतने में मदद मिलेगी। नियमित रूप से आंखों के डॉक्टर से संपर्क करें। जिससे नेत्र रोग होने की संभावना को कम करने में मदद मिल सकती है। अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल, रक्तचाप, मधुमेह, लिवर रोग, ट्यूमर और कई अन्य रक्त संबंधी रोगों जैसी बीमारियों का पता केवल आंखों में देखने से लगाया जा सकता है। अच्छी दृष्टि बनाए रखना महत्वपूर्ण है।