#SupremeCourt : SIT जांच की मांग वाली याचिका खारिज की
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सीबीआई जज बीएच लोया की मौत के मामले में स्वतंत्र जांज की जाए या नहीं, इसे लेकर #SupremeCourt ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी की जांच वाली मांग की याचिका को ठुकरा दिया. साथ ही याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसआईटी जांच की मांग वाली याचिका में कोई दम नहीं है.
इस याचिका में कोई तर्क नहीं पाया है
कोर्ट ने इस याचिका में कोई तर्क नहीं पाया है. यही वजह है कि इस स्वतंत्र जांच वाली याचिका कोर्ट ने खारिज कर दिया. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने फैसला सुनाया है. बता दें कि कोर्ट को तय करना था कि लोया की मौत की जांच SIT से कराई जाए या नहीं.
#SupremeCourt ने कहा कि जजों के बयान पर हम संदेह नहीं कर सकते. कोर्च ने कहा कि राजनीतिक लड़ाई मैदान में की जानी चाहिए, कोर्ट में नहीं. कोर्ट ने माना है कि जज लोया की मौत प्राकृतिक है. कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिका का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए.
- जस्टिस लोया की मौत प्राकृतिक थी.
- सुप्रीम कोर्ट ने PIL के दुरुपयोग की आलोचना की.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, PIL का दुरुपयोग चिंता का विषय.
- याचिकाकर्ता का उद्देश्य जजों को बदनाम करना है.
- यह न्यायपालिका पर सीधा हमला है.
- राजनैतिक प्रतिद्वंद्विताओं को लोकतंत्र के सदन में ही सुलझाना होगा.
- PIL शरारतपूर्ण उद्देश्य से दाखिल की गई, यह आपराधिक अवमानना है.
- हम उन न्यायिक अधिकारियों के बयानों पर संदेह नहीं कर सकते, जो जज लोया के साथ थे.
- ये याचिका आपराधिक अवमानना के समान
- ये याचिका सैंकेंडलस और आपराधिक अवमानना के समान, लेकिन हम कोई कार्रवाई नहीं कर रहे.
- याचिकाकर्ताओं ने याचिका के जरिए जजों की छवि खराब करने का प्रयास किया.
- ये सीधे सीधे न्यायपालिका पर हमला.
- जनहित याचिकाएं जरूरी लेकिन इसका दुरुपयोग चिंताजनक.
- कोर्ट कानून के शासन के सरंक्षण के लिए है.
- जनहित याचिकाओं का इस्तेमाल एजेंडा वाले लोग कर रहे हैं.
- याचिका के पीछे असली चेहरा कौन है पता नहीं चलता.
- तुच्छ और मोटिवेटिड जनहित याचिकाओं से कोर्ट का वक्त खराब होता है.
- हमारे पास लोगों की निजी स्वतंत्रता से जुड़े बहुत केस लंबित हैं.
पहले क्या कहा था कोर्ट ने
- सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये मामला गंभीर है और एक जज की मौत हुई है.
- मामले को गंभीरता से देख रहे हैं और तथ्यों को समझ रहे हैं.
- अगर इस दौरान अगर कोई संदिग्ध तथ्य आया तो कोर्ट इस मामले की जांच के आदेश देगा.
- सुप्रीम कोर्ट के लिए ये बाध्यकारी है. हम इस मामले में लोकस पर नहीं जा रहे हैं.
- चीफ जस्टिस ने दोहराया कि पहले ही कह चुके हैं कि मामले को गंभीरता से ले रहे हैं.