सनातन धर्म में ईश्वर को प्राप्त करने का सरल मार्ग भक्ति है। ऐसी मान्यता है कि पूजा, जप, तप, कीर्तन, भजन करने से ईश्वर यथाशीघ्र प्रसन्न होते हैं। इसके लिए सनातन धर्म के अनुयायी नित प्रतिदिन प्रातः काल और संध्याकाल में पूजा-पाठ और आरती-अर्चना करते हैं।
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साधक पूजा के दौरान फल, फूल, धूप, दीप, तिल, जल, अक्षत आदि चीजों का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही आरती के दौरान घंटी बजाकर भगवान का आह्वान किया जाता है। आरती पश्चात शंख (shell) बजाया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि पूजा गृह में शंख (shell) क्यों रखा जाता है और आरती करने के बाद बजाया जाता है ? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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शंख
शास्त्रों में निहित है कि समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी। इनमें एक रत्न शंख है। माता लक्ष्मी के साथ शंख भी उत्पन्न हुआ था। अतः शंख को माता लक्ष्मी का अनुज माना जाता है। कालांतर से जहां शंख रहता है। उस स्थान पर माता लक्ष्मी भी वास करती हैं। इसके लिए पूजा गृह में शंख रखा जाता है। वहीं, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से शंखनाद से वातावरण में व्याप्त नकारात्मक शक्ति का नाश होता है। साथ ही बुरी शक्तियों से भी निजात मिलता है।
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पूजा गृह में कैसे रखें शंख
ज्योतिषों और पंडितों की मानें तो शंख में हमेशा जल भरकर रखना चाहिए। इस जल को अगले दिन घर में छिड़कना चाहिए। इससे नकारात्मक शक्ति दूर भागती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वहीं, घर में हमेशा दक्षिणावर्ती शंख रखें।
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क्यों बजाया जाता है शंख
भगवान श्रीहरि विष्णु सहित कई अन्य देवी-देवता अपने हाथों में शंख धारण किया है। साथ ही शंख भगवान नारायण को अति प्रिय है। इसके लिए जब कभी भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा होती है, तो शंख जरूर बजाया जाता है। सत्यनारायण कथा में हर अध्याय के पश्चात शंख बजाया जाता है।
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